Skip to main content

Somaliya Attack।सोमालिया में ताज होटल जैसा आतंकवादी हमला

A hotel in Somaliya capital where terrorist. Attack

 सोमालिया में आधी रात में आतंकवादी हमला हुआ है वैसा ही जैसा मुंबई में होटल ताज में  था होटल में लोगो को बंधक गया है 

सोमालिया की राजधानी मोगादिशु स्थित होटल हयात फाइव स्टार होटल में हुआ है हमला

राजधानी मोगादिशु स्थित होटल हयात पर आतंकियों ने कब्जा जमा लिया है. आतंकी हमले में अब तक 12 लोगों के मारे जाने की खबर है, जबकि कई लोग घायल बताए जा रहे हैं. इस साल मई में राष्ट्रपति हसन शेख मोहम्मद के सत्ता संभालने के बाद यह पहला बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है. हमले में होटल के मालिक की भी मौत हो गई है.

 होटल हयात मोगादिशु में एक पसंदीदा स्थान है जहां कई अन्य होटल भी स्थित हैं, और यह अक्सर सरकारी अधिकारी और आम लोग आते रहते हैं.

इस हफ्ते की शुरुआत में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने ऐलान किया था कि उसके सुरक्षा बलों ने देश के मध्य-दक्षिणी हिस्से में हवाई हमले में अल-शबाब के 13 लड़ाकों को मार गिराया था क्योंकि समूह सोमालिया सुरक्षा बलों पर लगातार हमले कर रहे था. अमेरिका ने हाल के हफ्तों में इन पर कई हवाई हमले किए हैं.

Comments

Popular posts from this blog

Nobel Prize : नोबेल पुरस्कार क्यों और कब दिए जाते है और क्या होता है नोबेल पुरस्कार

Nobel Prize  नोबेल पुरस्कारों 2022 (nobel prize 2022)की घोसणा हो चुकी है हर साल नोबेल पुरस्कार अपने क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वालो को नोबेल फाउंडेशन द्वारा दिया जाता है तो आपके मन में भी आता होगा क्या होता है नोबेल पुरस्कार तो आइए जानते है नोबेल पुरस्कार क्या होता है कब शुरु किया गया था कब वितरित होता है नोबेल पुरस्कार नोबेल पुरस्कार हर  साल 6 श्रेणि में नोबेल पुरस्कार दिए जाते है पहले पांच श्रेणी में ही नोबेल पुरस्कार दिए जाते थे बाद में अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार 1968 में, स्वीडन के केंद्रीय बैंक ने अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में नोबेल पुरस्कार में  जोड़ा था । स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में साल 1901 से हर साल नोबेल फाउंडेशन द्वारा असाधारण कार्य करने वाले लोगों और संस्थाओं को नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) दिया जाता है. नोबेल पुरस्कार छह अलग-अलग क्षेत्रों में दिया जाता है और हर नोबेल पुरस्कार एक अलग समिति द्वारा प्रदान किया जाता है. नोबेल पुरस्कार को विश्व में बौद्धिक उपलब्धि के लिये दिया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है, जो स्वीडिश ...

Laal Bahadur Shastri : लाल बहादुर शास्त्री आइए जानते है भारत के दितीय लेकिन अदितीय प्रधान मंत्री के बारे में

लाल बहादुर शास्त्री लाल बहादुर शास्त्री आजाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे शान्त स्वभाव के दिखाने वाले शास्त्री जी अंदर से उतने ही मजबूत थे वो जब कोई निर्णय ले लेते तो उस पर अडिग रहते थे उनके कार्यकाल में ही भारत ने पाकिस्तान को जंग में हरा दिया था उनका दिया नारा जय जवान जय किसान  देश वासियों को देश भक्ति की भावना से भर दिया था नतीजा भारत ने 1965 के युद्ध में हरा दिया था और खुद पाकिस्तान ने भी ये नही सोचा था की वो हार जाएगा क्यों की उससे पहले चीन ने 1962 में भारत को हराया था  तो आइए जानते है भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जन्म, परिवार , बच्चे,  , स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने और प्रधान मंत्री बनने और पाकिस्तान को हराने की कहानी हमारे ब्लॉग पोस्ट में तो आइए जानते है  जन्म   श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को   वाराणसी से  16 किलोमीटर   दूर , मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव  एक स्कूल शिक्षक थे। और माता राम दुलारी गृहणी थी , जब लाल बहादुर शास्त्री केवल डेढ़ वर्ष ...

Manikarnika Ghat : मणिकर्णिका घाट वाराणसी ( काशी ) जहां दिन रात जलती रहती है चिताएं

बनारस शहर या काशी को घाटों का शहर भी कहते है यह पे कुल 6 से 7 किलोमीटर की दूरी पर कुल 84 घाट है इन्ही घाटों में एक मोक्ष प्रदान करने वाला घाट भी है जहा दिन रात चौबीस घंटों चिताओं को जलाया जाता है जिसे Manikarnika Ghat : मणिकर्णिका घाट वाराणसी ( काशी ) जहां दिन रात जलती रहती है चिताएं  कहा जाता है तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से इस पोस्ट में । मणिकर्णिका घाट  मणिकर्णिका घाट काशी के 84 घाटों में सबसे पुराना और प्राचीन घाट है यह घाट अपनी निरंतर और सदियों से जलती चिताओं की आग के कारण जाना जाता है कहते है जिसका यहां अंतिम संस्कार होता है उसको सीधे  मोक्ष की प्राप्ति होती है  मणिकर्णिका घाट उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले और वाराणसी शहर में स्तिथ है आप वाराणसी कैंट से सीधे ऑटो लेकर वाराणसी चौक  चौराहे से आगे गलियों द्वारा जा सकते है । कहते है यहां कभी चिता की आग नही बुझती है हर रोज यहां 250 से 300 करीब शवों का अंतिम संस्कार होता है लोग शवों के साथ अपनी बारी का इंतजार करते है और फिर दाह संस्कार करते है ।  यहां पे आज भी शवों पर टैक्स की पुरानी परंपरा ज...