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Bombay stock exchange मुंबई स्टॉक एक्सचेंज आइए जानते है स्टॉक एक्सचेंज कैसे बनता हैं

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का पुराना समकक्ष  स्टॉक एक्सचेंज है। Bombay stock exchange  मुंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई)ने वर्ष 1875 में “द नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन” के नाम से अपना परिचालन शुरू किया। यह बीएसई को पूरे एशिया में सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज बनाता है। एनएसई के विपरीत, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज केवल ओपन-क्राय सिस्टम से पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग (बोल्ट) में 1995 में स्थानांतरित हो गया।आइए जानते है स्टॉक एक्सचेंज कैसे बनता हैं   मुंबई स्टॉक एक्सचेंज               Bombay Stock Exchange   जब भी न्यूज चैनल या कही भी शेयर मार्केट की न्यूज सुनते है तो सेंसेक्स NSE और BSE और NIFTY के तो हमारे मन में ये ख्याल आता है क्या होता है है बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज BSE और कैसे कार्य करता है क्या उसके कार्य है तो आइए जानते हैं क्या होता है  ये भी  स्टॉक एक्सचेंज के इंडेक्स  की तरह कार्य करता है इसमें देश की 30 बड़ी कंपनियों के शेयरों की लिस्टिंग होती है और यह इन्हीं 30 कम्पनियों शेयरों के बारे में बताता है ये और इन्ही के शेयर के तेजी अथवा मंदी होने के अनुपात में

Demat Account : डीमैट अकाउंट Types of Demat Account

आप को शेयर मार्केट में खरीदारी करने और उन शेयर को अपने पास सुरक्षित रखने के लिए जो वॉलेट या अकाउंट जारी होता है उसे Demat Account : डीमैट अकाउंट Types of Demat Account  कहते    आप मेरे इस पोस्ट जान सकते है तो आइए जानते है  Demat Account : डीमैट अकाउंट  Types of Demat Account के बारे में । Demat Account डीमैट एकाउंट    आप सब को पता होगा ही की आप डायरेक्ट शेयर मार्केट से शेयर नही खरीद सकते है तो आप को एक इंटरमिडियट की जरूरत होगी यही इंटर मिडिटेटर या ब्रोकर या शेयर मार्केट की भाषा में डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट   DP कहते है डीमैट एकाउंट खुलवाता है जिससे आप शेयर की खरीद बिक्री करते है डीमैट एकाउंट के साथ आपका ट्रेडिंग एकाउंट भी खुलता है जिससे आप ट्रेडिंग करते है डीमैट एकाउंट में आपके खरीदे गए शेयर की इंट्री होती हैं और ट्रेडिंग एकाउंट से आप ट्रेडिंग या खरीदारी करते है । पहले सारा काम कागजी करवाई पर होता था पर इसमें बहुत वक्त लगता था वेरिफिकेशन वगैरा होने में बहुत वक्त लगता था मान लीजिए आपने कोई कंपनी का शेयर खरीद तो उसका सर्टिफिकेट मिलता था फिर वो उस कंपनी में जाता था फिर कंपनी उसको चेक करती