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Dev Diwali 2022 Varanasi: Dev Deepawali Banaras Dev Diwali Date देव दीपावली 2022 बनारस डेट और टाइम

बनारस जैसा की हम पहले भी पढ़ और जान चुके है की कई पर्वो और अनूठे परंपराओं रीति रिवाजों से भरा पड़ा है इस में एक पर्व और अनुष्ठान जिसे देवताओं की दीपावली dev diwali 2022 कहते है ।Dev Diwali 2022 Varanasi: Dev Deepawali Banaras Dev Diwali Date देव दीपावली 2022 बनारस डेट और टाइम     Dev Diwali 2022 Varanasi: Dev Deepawali Banaras Dev Diwali Date देव दीपावली 2022 बनारस डेट और टाइम  इस दिन यहां के घाट मिट्टी के दियो की रोशनी से नहा उठते है आप इस नजारे को जीवन भर नही भूलेंगे बनारस की दिव्यता को आप महुसूस करेंगे । यह एक अपने तरह का अनूठा आयोजन हैं जो बनारस के चौरासी घाटों पे देखने को मिलेगा । आप रोशनी से नहाया घाटों को देखेंगे जो देवताओं के स्वागत में सजाए जाते हैं । आइए जानते है है हमारे इस पोस्ट में Dev Diwali 2022 Varanasi: Dev Deepawali Banaras  के बारे में dev diwali 2022 date तारिख और कब और क्यों मनाते है तो आइए जाने है dev deepawali in varanasi 2022 ke bare me  देव दीपावाली 2022 कब है  dev deepawali in varanasi 2022  दीपावली का उत्सव वैसे भीं खास होता है  पर बनारस में ये और खास होता है

Oldest City Varanasi History Facts । विश्व की प्राचीन नगरी वाराणसी काशी

आइए जानते है विश्व के सबसे पुराने और जीवंत शहर बनारस के बारे में आज के पोस्ट में तो आइए जानते है क्या है बनारस Oldest City Varanasi History Facts । विश्व की प्राचीन नगरी वाराणसी काशी  Oldest City Varanasi History Facts बनारस वाराणसी काशी  आप चाहे  जिस नाम से चाहे पुकार ले ये आपको अपना लेगा , बनारस शहर विश्व का सबसे पुराना शहर है मान्यता है की भगवान शंकर ने अनादि काल में इसको बनया था ये भगवान शिव की सबसे प्रिय नगरी है और ये भगवान भोले के त्रिशूल पर ही टिकी हुई है, ये करीब 3000 हजार साल पुराना है पर लोग इससे इससे भी प्राचीन मानते है कहते है बनारस किवदंतियों से भी पुराना है जब विश्व के कई महान नगरों का अस्तित्व भी नही था तब से काशी इस पृथ्वी पर मौजूद है अगर कोई भारत में पैदा होता है तो उसका एक सपना होता है है की एक बार काशी जरूर हो आए मान्यता है इस शहर की धूल भी छू जाए तो आदमी को मोक्ष प्राप्त हो जाता है लोग तो यहां मरने के लिए आते है ये शहर वास्तव में आपने आप में एक संपूर्ण तीर्थ या उससे भी ज्यादा है  ये शहर कला और संगीत और व्यापार का केंद्र रहा है भारत की सांस्कृतिक राजधानी है आप इस शहर

Gyanvapi Case : ज्ञानवापी केस आइए जानते है ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ जी मंदिर विवाद

काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी के ज्ञानवापी क्षेत्र में है जहा पहले पुरानी मंदिर थी उसे तोड़ कर मस्जिद बना दी गई थी। और वही पर श्रृंगार गौरी का मंदिर भी है जो अब मस्जिद क्षेत्र में है यहीं पे नियमित पूजा करने के लिए वाराणसी कोर्ट में अर्जी दी गई है उसे ही Gyanvapi Case : ज्ञानवापी केस  आइए जानते है ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ जी मंदिर विवाद कहते है तो जानते है पूरा मामला मेरे इस पोस्ट में :- Gyanvapi Case : ज्ञानवापी केस आइए जानते है ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ जी मंदिर विवाद वैसे ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ जी मंदिर विवाद  ये मामला इस समय खूब चर्चा में सारे देश के लोगो और मीडिया की निगाहे इस मामले पर हैं जब से  मामला कोर्ट में गया है  ताजा मामला विश्वनाथ जी मंदिर और श्रृंगार गौरी मंदिर में  नियमित पूजा को लेकर है कोर्ट ने इस मामले को लेकर सुनवाई की तारीख 22 सितम्बर दे दी गई है और कोर्ट ने कहा है की मामला सुनवाई योग्य है अब यह विषय और चर्चित हो गया है क्यों मुस्लिम पक्ष का कहना था की मामला ही सुवाई योग्य नहीं है , ज्ञानवापी केस : आइए जानते है ज्ञानवापी मस्जिद और काशी वि

Manikarnika Ghat : मणिकर्णिका घाट वाराणसी ( काशी ) जहां दिन रात जलती रहती है चिताएं

बनारस शहर या काशी को घाटों का शहर भी कहते है यह पे कुल 6 से 7 किलोमीटर की दूरी पर कुल 84 घाट है इन्ही घाटों में एक मोक्ष प्रदान करने वाला घाट भी है जहा दिन रात चौबीस घंटों चिताओं को जलाया जाता है जिसे Manikarnika Ghat : मणिकर्णिका घाट वाराणसी ( काशी ) जहां दिन रात जलती रहती है चिताएं  कहा जाता है तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से इस पोस्ट में । मणिकर्णिका घाट  मणिकर्णिका घाट काशी के 84 घाटों में सबसे पुराना और प्राचीन घाट है यह घाट अपनी निरंतर और सदियों से जलती चिताओं की आग के कारण जाना जाता है कहते है जिसका यहां अंतिम संस्कार होता है उसको सीधे  मोक्ष की प्राप्ति होती है  मणिकर्णिका घाट उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले और वाराणसी शहर में स्तिथ है आप वाराणसी कैंट से सीधे ऑटो लेकर वाराणसी चौक  चौराहे से आगे गलियों द्वारा जा सकते है । कहते है यहां कभी चिता की आग नही बुझती है हर रोज यहां 250 से 300 करीब शवों का अंतिम संस्कार होता है लोग शवों के साथ अपनी बारी का इंतजार करते है और फिर दाह संस्कार करते है ।  यहां पे आज भी शवों पर टैक्स की पुरानी परंपरा जारी है और आज भी टैक्स वसूला ज

Panch Ganga Ghat : पंचगंगा घाट वाराणसी की पौराणिक एवम ऐतिहासिक कहानी

पंच गंगा घाट  जैसा कि हम पढ़ चुके है की वाराणसी (काशी) में कुल चौरासी घाट है इनमे से पांच ही मुख्यता प्रसिद्ध है ये घाट है पंचगंगा घाट  अस्सी घाट  ,  दशाश्वमेघ घाट  , मणिकर्णिका घाट , और आदिकेशव घाट सबसे उत्तर में आदिकेशव घाट और सबसे दक्षिण में अस्सी घाट है तो आज हम जानेंगे पंचगंगा घाट और इसके धार्मिक महत्व के बारे में पंच गंगा घाट पांच नदियों के संगम पर बना हुआ है पौराणिक मान्यता है यहां पर गंगा नदी से यमुना , विशाखा, धूतपापा और किरण नदियो का संगम होता है ये नदिया गंगा नदी से  मिलती है और फिर धरती में समा कर विलुप्त हो जाती है इसलिए  इस घाट को पंच गंगा घाट कहते है क्यों की यहां पांच नदियों का संगम है इसलिए इस घाट का महत्व बढ़ जाता है क्यों की ये पांच नदियों के संगम पर है । इस घाट का  ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार , पहली बार रघुनाथ टंडन ने 1580 ईसवी में इसका पक्का निर्माण कार्य करवाया था उसके बाद  में   1780   सन में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई ने लाल पत्थरों से इसका निर्माण कार्य कराया था  घाट के पौराणिक एवम धर्मिक महत्व को देखते हुए 1965 में तत्कालीन राज्य सरकार ने घाट के निचले भाग को भ

Assi ghat : अस्सी घाट आइए जानते है अस्सी घाट वाराणसी (काशी) के बारे में

  अस्सी घाट वाराणसी   जैसा की हम पहले भी चुके है बनारस में कुल चौरासी घाट है इनमे से पांच ही प्रसिद्ध है जो पंच तीर्थ कहलाते है जो या घाट है                              अस्सी घाट                                                                              दशाश्वमेघ घाट                                                                       मणिकर्णिका घाट                                                                    आदिकेशव घाट                                                                        पचगंगा घाट  उसी क्रम में हम आज जानते है अस्सी घाट के बारे में अस्सी घाट बनारस (काशी) वाराणसी के दक्षिणी क्षेत्र में  पवित्र गंगा  नदी और अस्सी नदी के संगम पर स्थित है  यह वाराणसी कैंट स्टेशन से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है आप यहां कार और ऑटो दोनो से आ सकते है पर हो सके तो कुछ दूरी पर ही उतर जाए और घाट पर पैदल ही जाए । आप नए वाले रास्ते जो की सीधे बीएचयू ट्रामा सेन्टर से रविदास पार्क होते हुए आता उस रास्ते  से भी आ सकते हैं  और आप किसी भी घाट पर है तो नाव से आसानी से अस्सी घाट  पहुंच स

Dasaswamedh Ghat Aur Ganga Aarti : दशा‌स्वमेघ घाट और गंगा आरती

दशा‌स्वमेघ घाट और गंगा आरती    दशा‌स्वमेघ घाट वाराणसी में गंगा नदी के तट पर स्थित एक पौराणिक घाट है यह वाराणसी कैंट से 6 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है यह घाट गोदौलिया चौराहे से विश्वनाथ जी जाने वाले रास्ते में  आगे चलकर गंगा जी के किनारे पर स्तिथ है । बनारस में कुल चौरासी घाट है पर उन सब में केवल पांच घाट ही महत्व पूर्ण है जिन्हे पंच तीर्थ कहा जाता है ये पांच घाट है आदिकेशव घाट, अस्सी घाट , मणिकर्णिका घाट, पचगंगा घाट,दशा‌स्वमेघ घाट ही प्रमुख है  । दशा‌स्वमेघ घाट का नाम दशा‌स्वमेघ क्यों पड़ा  पौराणिक ग्रंथों के अनुसार राजा दिवोदास ने यहां दस अश्व मेघ यज्ञ किया था जिस कारण इसका नाम ही दशा‌स्वमेघ घाट पड़ा  एक और पौराणिक मत के अनुसार नागवंशीय राजा विरसेन ने चक्रवर्ती बनने की इच्छा से यहां पर दस अश्वमेघ यज्ञ किए थे जिस कारण इसका नाम दशा‌स्वमेघ घाट पड़ा  इस घाट के अगल बगल बहुत सारे मंदिर है घाट पर ही प्राचीन शीतला माता का मंदिर है जो सीढ़ियों से ऊपर जाने पर है आप यहां भी दर्शन कर सकते है पहले यह घाट भी दशा‌स्वमेघ घाट के ही हिस्से में था पर अब इसको शीतला घाट कहते है  दशा‌स्वमेघ घाट पर ही दशा‌

Sankat Mochan Mandir : संकट मोचन मंदिर हनुमान जी वाराणसी का इतिहास

बनारस में आए और आप यहां के मंदिरों के दर्शन  न करे ये तो हो ही नही सकता यहां बहुत से प्राचीन और दर्शनीय स्थल है इन्ही में से एक है Sankat Mochan Mandir : संकट मोचन मंदिर वाराणसी  के  बारे में  मेरे इस ब्लॉग पोस्ट में आइए  जानते है संकट मोचन मंदिर के बारे में  विस्तार से - संकट मोचन मंदिर       Sankat Mochan Mandir          संकट मोचन मंदिर वाराणसी में किस दिशा में है  संकट मोचन मंदिर बीएचयू के पास लंका चौराहे से कुछ ही दूरी पर स्थित है  वाराणसी कैंट से 6 K.M. की दूरी पर है आप यहां आसानी से पहुंच सकते है ये मंदिर अस्सी नदी के किनारे स्तिथ है  इस मंदिर की स्थापना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी,संकट मोचन मंदिर हनुमान जी को समर्पित है हनुमान जी जिनको बल और बुद्धि का देवता कहा जाता है इस मंदिर का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। पौराणिक मान्यता है की हनुमान जी स्वयं यह विराजते है और अपने भक्तो के सारे कष्टो का हरण कर लेते है अगर उनके भक्तो पे कोई संकट आता है तो उसको दूर करते है इसलिए ही तो इन्हे संकट मोचन कहा गया है। वैसे तो हर दिन ही भक्तो की कतार रहती है पर मंगलवार और शनिवार को इनके दर्शन का विशे

Annpurna Mandir Varanasi :अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी (काशी) के बारे में आइए जानते है

Annpurna Mandir Varanasi अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी  जैसा की हम पहले से ही जानते है की वाराणसी ( काशी)  शहर अपने मंदिरो के शहर होने के लिए प्रसिद्ध है यह हर हर जगह कोई न कोई पवित्र व प्रसिद्ध मंदिर है इसी क्रम में आज हम जानेंगे महादेव  की नगरी में एक पवित्र मंदिर मां अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी काशी के बारे में ऐसी मान्यता है की काशी में अन्नपूर्णा जी को स्वयं महादेव जी लेकर आए थे ताकि यहां कोई भूखा न सोए तो आइए जानते है माता अन्नपुर्णा देवी मंदिर के बारे इस ब्लॉग पोस्ट में तो आइए जानते कहा है मंदिर और कैसे पहुंचे और क्या प्रसाद है माता रानी के क्या पौराणिक कथा है अन्नपूर्णा जी के काशी में होने की तो आइए जानते है माता रानी के बारे में  अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी (काशी)  आप वाराणसी कैंट से ऑटो द्वारा मैदागिन और फिर वहा से रिक्शा द्वारा यहां पहुंच सकते है यह मंदिर कैंट स्टेशन से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है लोग काशी विश्वनाथ जी के दर्शन करने के पश्चात माता अन्नपुर्णा के दर्शन करते है आप वाराणसी में कही रुके हो।वहा से काशी विश्वनाथ मन्दिर आसानी से पहुंच सकते है  काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ कदम

What To Eat In Banaras : बनारस में क्या क्या खाए

बनारस में खाने को तो बहुत कुछ मिलता है अगर आप बनारस आ रहे है तो आपको यहां की कुछ प्रमुख चीजे बताते है की क्या क्या खाएं आपने बनारस यात्रा के दौरान तो आइए जानते है What To Eat In Banaras : बनारस में क्या क्या खाए विस्तार से  W hat To Eat in Banaras     बनारस में क्या क्या खाए हर हर महादेव हर हर महादेव शायद ही कोई इंडिया (भारत) में जन्म ले और उसका सपना न हो एक बार काशी आना, ये खुद ही लोगो को आकर्षित करती है, हां और यहाँ आए तो यहां का जयाका तो चखना ही होगा तो आपके लिए कुछ जरुरी स्वाद जो आपको यहाँ की संस्कृति और स्वाद हमेशा याद दिलाती रहेगी,तो आप को आज के पोस्ट में हम बता रहें है तो आइए जानते हैं बनारस के कुछ स्वदिष्ट व्यंजन जो आप जरूर चखे। कुल्हड़ वाली चाय बनारसी पान बनारस की पूड़ी सब्जी  बनारसी लस्सी बनारसी टमाटर चाट ओस की बूंदों से बनी मलाइयां Varanasi Street food कुल्हड़ वाली चाय  बनारस सुबह की शुरूआत यहां के कुल्हड़ वाली चाय के साथ सुरु कीजिए जो आपका दिन बना देगी आप एकदम तारो ताजा महसूस करगे अगर आप राजनीति के शौकीन  है तो अस्सी घाट पे पपू की चाय का भी स्वद ले सकते हैं यहां की  सड़क पे