Skip to main content

Assi ghat : अस्सी घाट आइए जानते है अस्सी घाट वाराणसी (काशी) के बारे में

 अस्सी घाट वाराणसी 

जैसा की हम पहले भी चुके है बनारस में कुल चौरासी घाट है इनमे से पांच ही प्रसिद्ध है जो पंच तीर्थ कहलाते है जो या घाट है                              अस्सी घाट                                                                             दशाश्वमेघ घाट                                                                      मणिकर्णिका घाट                                                                    आदिकेशव घाट                                                                        पचगंगा घाट 

उसी क्रम में हम आज जानते है अस्सी घाट के बारे में अस्सी घाट बनारस (काशी) वाराणसी के दक्षिणी क्षेत्र में  पवित्र गंगा  नदी और अस्सी नदी के संगम पर स्थित है  यह वाराणसी कैंट स्टेशन से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है आप यहां कार और ऑटो दोनो से आ सकते है पर हो सके तो कुछ दूरी पर ही उतर जाए और घाट पर पैदल ही जाए । आप नए वाले रास्ते जो की सीधे बीएचयू ट्रामा सेन्टर से रविदास पार्क होते हुए आता उस रास्ते  से भी आ सकते हैं  और आप किसी भी घाट पर है तो नाव से आसानी से अस्सी घाट  पहुंच सकते है  

Assighatvaranasi


यह घाट विदेशी सैलानियों ,  शोधकर्ताओं, और विदेशी सैनिकों  (इजराइल के सैनिकों जो रिटायरमेंट के बाद घूमने निकलते है) उनमें काफी प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है घाट पर दिन भर लोगो के आने का सिलसिला लगा रहता है 

सुबह ऐ बनारस 

इस घाट पे सुबह से ही लोगो की भीड़ इक्कडा होने लगती है जो देर रात तक रहती है सुबह सुबह इस घाट पर सुबह ऐ बनारस  कार्यक्रम जिसमे  शास्त्रीय संगीत और  सांस्कृतिक गायन का कार्यक्रम होता है जो दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर देता है और सुबह में इस घाट पर  योगाभ्यास भी कराया जाता है

अस्सी घाट की गंगा आरती

 शाम में आप यहां अस्सी घाट  की गंगा आरती का लुफ़्त उठा सकते है भक्त सीड़ियो और घाट पे लगे ब्रेंचो पर बैठ कर आरती का आनंद लेते है जो शाम को 6:30 बजे शुरू होती है घंटे घड़ियालो की ध्वनि से पूरा वातावरण ही दिव्य हो जाता है श्रद्धालु जन मंत्र मुग्ध होकर आरती का आनंद लेते है जो को निशुल्क है आप चाहे तो आरती के बाद कुछ पैसा डाल सकते है 

इस घाट पर काफी खुली जगह है जिस कारण से यहां सुबह से ही सैलानी आते है और शाम तक अपने आप को आनंदित रख सकते है  

नाव की सवारी

आप यहां पे नाव की सवारी भी कर सकते है जिसका प्रति वायक्ति 40 या 50 रुपया लगता है आप गंगा उस पार जाकर रेती (बालू) पर भी घूम सकते है और  उस पार घुड़सवारी और ऊंट की सवारी का आनंद भी ले सकते है आप यहां से किसी भी घाट पर नाव द्वारा  जा सकते है हा किराया पहले ही तय कर ले 

घाट पर कई सारे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कार्यक्रम होते रहते आप  इस घाट का पौराणिक महत्त्व भी बहुत ज्यादा है आइए जानते है 

घाट का पौराणिक और ऐतिहासिक तथ्य 

इस घाट की सबसे पौराणिक कहानी यह है की जब माता दुर्गा ने दैत्य सुंभ निशुंभ का वध करने के बाद दुर्गा मंदिर दुर्गा कुंड के पास विश्राम किया था तो उनकी तलवार वही गिरा गई थी जहा पे तलवार गिरी थी वही पर से अस्सी नदी का उदगम स्थल माना जाता है और अस्सी नदी (अब विलुप्त होती अस्सी नाले में तब्दील हो गई है ) गंगा नदी  के संगम पर अस्सी घाट स्थिति है जिसका वर्णन कई पौराणिक ग्रंथों  काशी कांड , मत्स्य पुराण, अग्नि पुराण , पद्म पुराण में किया गया है ।

इस घाट का पक्का निर्माण महाराजा बनारस और फिर राज्य सरकार द्वारा भी सौंन्दर्यीकरण 1988  में  करवाया गया था

इस घाट पर काशी खंडोक्त अस्सीसंगमेश्वर महादेव का मंदिर है जिसके दर्शन पूजन का बहोत महत्व है घाट के उतर में कुछ दूरी पर भगवन जगन्नाथ जी का मंदिर है जहा हर वर्ष मेला लगता है जिसका निर्माण जगन्नाथ मंदिर पुरी (उड़ीसा) के पुरोहित (महंत) ने करवाया था 

इस घाट का पौराणिक ग्रंथों में विशेष महत्व है काशी खंड में वर्णन है की और सारे तीर्थ इसके सोलहवे भाग के भी बराबर नही है अतः इस काशी पांच तीर्थ में स्नान दान और पूजा का विशेष महत्व है यहां स्नान करने से सारे तीर्थों में स्नान करने से ज्यादा फल की प्राप्ति होती है ऐसी पौराणिक मान्यता है इसलिए अस्सी क्षेत्र का काशी वाशियो में विशेष महत्व है 

घाट पे ही लक्ष्मी नारायण पंचरत्न मन्दिर  है जिसका निर्माण बिहार राज्य की महारानी दुल्हिन राधा दुलारी कुंवर ने करवाया था और इसके अतिरिक्त नरसिंग मंदिर , मयूरेश्वर मंदिर, और बाणेश्वर मंदिर भी इस घाट क्षेत्र में है इस घाट के पास  बहुत सारे अखाड़े भी है  नानकपंथियो का एक अखाड़ा भी इस घाट पर है 

 ब्रह्मावैवर्त पुराण में काशी में पुरियो की स्थिति में इसे काशी का हरिद्वार क्षेत्र माना गया हैं अतः यह स्नान दान आदि का विशेष महत्व है यह जगह काशी के  पांच तीर्थ में  विद्यमान है 

यहां पे जन्म संस्कार, मुंडन संस्कार , उपनयन संस्कार,  विवाह ,और अन्य मांगलिक कार्य पूजा पाठ आदि भी इस घाट को साक्षी मानकर सम्पन्न कराए जाते है और श्रद्धालु आस्था पूर्वक विधि विधान पूर्वक सारे कार्य करते है अगर आप को करना हो कोई पूजा या कोई मांगलिक कार्य तो यहां आप को ब्राह्मण पुरोहित मिल जायेगे 

 और यहां पे अगल बगल काफी सारे सस्ते महंगे होटल और लॉज है आप अपनी सुविधा अनुसार उनमें रुक सकते है और यहाँ रुककर आप अगल बगल काफी दर्शनीय स्थल जैसे  संकट मोचन मंदिर , बीएचयू  , मानस मंदिर , दुर्गा जी मंदिर आदि जगहों पर भी घूम सकते है  तो आप जब भी बनारस आए तो अस्सी घाट पर जाना न भूले आपको यहां का अनुभव हमेशा याद रहेगा ।

अस्सी घाट को बनारस का दिल कहते है ये घाट आपको एक अलग एहसास कराता है आप यहां आराम से बैठ कर गंगा को निहार सकते है अस्सी पे बैठ कर चाय का आनंद लेते हुए आप गंगा को निरंतर बहते हुए देख के असीम आनंद की प्राप्ति करेंगे आप यहां गंगा स्नान कर सकते है इस जगह को काशी का हरिद्वार कहा गया है पुराणों में यह स्नान और दान का बहुत महत्व है अस्सी पे ही मशहूर पप्पू की चाय की दुकान है कहते है देश में दो ही संसद है एक दिल्ली में दूसरे पप्पू की दुकान अस्सी के बारे में क्या लिखू आप एक बार यहां आके इसको अपने दिल में उतारिए आपको यहां का एहसास हमेशा रहेगा 

डिस्क्लेमर  यह सारी बाते पौराणिक कथाओं पर आधारित है हम इसकी सत्य होने का कोई दावा नही करते है 

आप को हमारा ब्लॉग कैसा लगा कॉमेंट में बताए आपके विचार महत्वपूर्ण है आप के विचारो से हमें कुछ नया करने और जरूरी बदलाव करने की प्रेरणा मिलती है।

आप यह भी पढ़ें  वाराणसी के प्रसिद्ध मन्दिर , संकट मोचन मन्दिर

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

Manikarnika Ghat : मणिकर्णिका घाट वाराणसी ( काशी ) जहां दिन रात जलती रहती है चिताएं

बनारस शहर या काशी को घाटों का शहर भी कहते है यह पे कुल 6 से 7 किलोमीटर की दूरी पर कुल 84 घाट है इन्ही घाटों में एक मोक्ष प्रदान करने वाला घाट भी है जहा दिन रात चौबीस घंटों चिताओं को जलाया जाता है जिसे Manikarnika Ghat : मणिकर्णिका घाट वाराणसी ( काशी ) जहां दिन रात जलती रहती है चिताएं  कहा जाता है तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से इस पोस्ट में । मणिकर्णिका घाट  मणिकर्णिका घाट काशी के 84 घाटों में सबसे पुराना और प्राचीन घाट है यह घाट अपनी निरंतर और सदियों से जलती चिताओं की आग के कारण जाना जाता है कहते है जिसका यहां अंतिम संस्कार होता है उसको सीधे  मोक्ष की प्राप्ति होती है  मणिकर्णिका घाट उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले और वाराणसी शहर में स्तिथ है आप वाराणसी कैंट से सीधे ऑटो लेकर वाराणसी चौक  चौराहे से आगे गलियों द्वारा जा सकते है । कहते है यहां कभी चिता की आग नही बुझती है हर रोज यहां 250 से 300 करीब शवों का अंतिम संस्कार होता है लोग शवों के साथ अपनी बारी का इंतजार करते है और फिर दाह संस्कार करते है ।  यहां पे आज भी शवों पर टैक्स की पुरानी परंपरा जारी है और आज भी टैक्स वसूला ज

Nobel Prize : नोबेल पुरस्कार क्यों और कब दिए जाते है और क्या होता है नोबेल पुरस्कार

Nobel Prize  नोबेल पुरस्कारों 2022 (nobel prize 2022)की घोसणा हो चुकी है हर साल नोबेल पुरस्कार अपने क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वालो को नोबेल फाउंडेशन द्वारा दिया जाता है तो आपके मन में भी आता होगा क्या होता है नोबेल पुरस्कार तो आइए जानते है नोबेल पुरस्कार क्या होता है कब शुरु किया गया था कब वितरित होता है नोबेल पुरस्कार नोबेल पुरस्कार हर  साल 6 श्रेणि में नोबेल पुरस्कार दिए जाते है पहले पांच श्रेणी में ही नोबेल पुरस्कार दिए जाते थे बाद में अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार 1968 में, स्वीडन के केंद्रीय बैंक ने अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में नोबेल पुरस्कार में  जोड़ा था । स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में साल 1901 से हर साल नोबेल फाउंडेशन द्वारा असाधारण कार्य करने वाले लोगों और संस्थाओं को नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) दिया जाता है. नोबेल पुरस्कार छह अलग-अलग क्षेत्रों में दिया जाता है और हर नोबेल पुरस्कार एक अलग समिति द्वारा प्रदान किया जाता है. नोबेल पुरस्कार को विश्व में बौद्धिक उपलब्धि के लिये दिया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है, जो स्वीडिश आविष्कारक और उ

Search Engines Marketing। सर्च इंजन मार्केटिंग। सर्च इंजन मार्केटिंग कैसे करें। सर्च इंजन मार्केटिंग क्या है। फायदे, प्रकार sem और seo में क्या अंतर है

बढ़ते डिजिटलीकरण के इस दौर में मार्केटिंग भी अखबारों और टीवी से होते हुए इंटरनेट और सोशल मीडिया तक आ पहुंची है।और हर व्यवसाय और सर्विस प्रदाता की यही सोच रहती है की उसकी मार्केटिंग कैंपेन सबसे पहले पेज पर दिखे, बस इसी आगे और ऊपर आने की जरूरत ने जन्म दिया है सर्च इंजन मार्केटिंग को अगर आप सर्च इंजन मार्केटिंग (sem) को नही जानते तो हम इस पोस्ट में आपको विस्तार से बताएंगे तो आइए देखते है मेरे पोस्ट को search engines marketing। सर्च इंजन मार्केटिंग। सर्च इंजन मार्केटिंग कैसे करें। सर्च इंजन मार्केटिंग क्या है। Search Engines Marketing। सर्च इंजन मार्केटिंग  हम सब ने अखबारों में टीवी पर ऐड देखा ही है रेडियो पर सुना है,पर अब मार्केटिंग कैंपियन इससे आगे निकल कर इंटरनेट पर आ गए है,और अपने टारगेट ऑडियंस और सर्च क्वेरी में सबसे ऊपर बने रहे के लिए वो सर्च इंजन मार्केटिंग का सहारा लेते है। और यही से सर्च इंजन मार्केटिंग का काम शुरू होता है तो सर्च इंजन मार्केटिंग एक तरीके से पैसे लेकर आपके ब्रांड या सर्विस की visibility को ऑनलाइन बढ़ाने की कोशिश करते है इसे paid marketing भी कहते है। सर्च इंजन मार