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Chaitra Navratri Puja 2023।चैत्र नवरात्रि 2023। व्रत शुभ मुहुर्त और कथा

हिंदू धर्म में चैत्र मास को बहुत ही पवित्र माना गया है, हिंदू धर्म पंचांग की शुरुआत भी चैत्र मास से ही होती है। और चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से ही  नवरात्रि के पूजा की शुरुआत होती है। नवरात्रि के पहले दिन को हिंदू नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। और इसी दिन से विक्रम संवत 2080 नया संवत शुरू हो जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में चार नवरात्रि मनाई जाती है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि भी पड़ती हैं। नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना होती है। जल्द ही चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है। चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाएगी। चैत्र और शारदीयनवरात्रि का ये  महापर्व देश भर में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। माता दुर्गा को सुख और समृद्धि की देवी कहा जाता है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा का  व्रत रखने वाले की  और पूरी श्रद्धा से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने वाले  भक्तों पर प्रसन्न होती हैं,और साथ ही उनकी सभी मनोकामनाए पूर्ण करती हैं। नवरात्रि  के दौरान  में लोग अपने घर में अखंड ज्योति जलाते हैं

शारदीय नवरात्रि महोत्सव 2022: Shardiya Navratri 2022 आइए जानते है नवरात्री विधि और पूजा कैसे करे

 शारदीय नवरात्रि नवरात्रि पर्व प्राचीन काल से मनाया जाता है यह पर्व मनाने के पीछे कई पौराणिक मान्यताएँ हैं नवरात्रि एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जिसे पूरे भारत में बनाया जाता है वैसे तो नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है लेकिन दो बार के नवरात्रों को गुप्त नवरात्रि माना जाता है और भक्तगण विशेष रूप से चैत नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि को विशेष रूप से मनाते शारदीय नवरात्रि अशविन मास की कृष्णपक्ष अमावस्या से शुरू होकर नवमी तिथि तक चलती है जो 10 दिन की होती है  इस बार शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू हो रही है 4 अक्टूबर तक रहेंगी इसमें माँ दुर्गा के नव रूपों केउपासना और दर्शन और पूजा पाठ का विधान है  भक्तगण कलश स्थापना के बाद विधि विधान से माँ दुर्गा के नौ रूपों का पूजन करते हैं और 9 दिन जागरण और पूजा करते हैंभक्त नौ दिनों के दौरान उपवास रखकर और देवी दुर्गा से उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं इस त्योहार को मनाते हैं कुछ लोग हुए नौ दिनों तक उपवास रखकर इस त्योहार को पूरा करते हैं जबकि अन्य ने रात्रि के पहले दो या अंतिम दो दिनों के लिए उपवास भी रखा जा सकता है ज्यादातर लोग पहले या दूसरे या फि