हिंदू धर्म में चैत्र मास को बहुत ही पवित्र माना गया है, हिंदू धर्म पंचांग की शुरुआत भी चैत्र मास से ही होती है। और चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से ही नवरात्रि के पूजा की शुरुआत होती है। नवरात्रि के पहले दिन को हिंदू नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। और इसी दिन से विक्रम संवत 2080 नया संवत शुरू हो जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में चार नवरात्रि मनाई जाती है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि भी पड़ती हैं। नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना होती है। जल्द ही चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है। चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाएगी। चैत्र और शारदीयनवरात्रि का ये महापर्व देश भर में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। माता दुर्गा को सुख और समृद्धि की देवी कहा जाता है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा का व्रत रखने वाले की और पूरी श्रद्धा से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों पर प्रसन्न होती हैं,और साथ ही उनकी सभी मनोकामनाए पूर्ण करती हैं। नवरात्रि के दौरान में लोग अपने घर में अखंड ज्योति जलाते हैं और इन नौ दिनों में मां के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं। नवरात्रि में कलश स्थापना का भी विधान है। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त कब है? चलिए जानते हैं Chaitra Navratri Puja 2023।चैत्र नवरात्रि 2023। व्रत शुभ मुहुर्त और कथा के बारे मे
चैत्र नवरात्रि 2023।शुभ मुहुर्त और तिथि
इस साल2023 की चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 मार्च मंगलवार को रात 10 बजकर 51 मिनट से होगी। अगले दिन 22 मार्च 2023 को रात 8 बजकर 19 मिनट पर इस तिथि का समापन भी होगा। हिन्दू पंचाग के अनुसार किसी व्रत का मान उदया तिथि से होता है तो उदया तिथि के अनुसार नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च बुधवार 2023 से होगी।
कलश स्थापना या घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
इस बार चैत्र नवरात्रि 2023 में प्रतिपदा तिथि 22 मार्च बुधवार को सुबह 8 बजकर 20 मिनट तक ही है।
ऐसे में 8 बजे से पहले ही कलश स्थापना, घट स्थापना हो जानी चाहिए। 22 मार्च को कलश स्थापना का मुहूर्त
सुबह 06 बजकर 28 मिनट से सुबह 07 बजकर 38 मिनट तक ही है जो की करीब 01 घण्टा 10 मिनट
तक है।
चैत्र नवरात्रि 2023 कैसे करें कलश स्थापना
नवरात्रि में शक्ति स्वरूप मां दुर्गा की 09 दिनों तक पूजा अर्चना करने के लिए घर के ईशान कोण में कलश स्थापना करनी चाहिए। कलश स्थापना करने के लिए किसी नदी या तलाब (सरोवर) की पवित्र मिट्टी लेकर गंगाजल की मदद से जहा कलश स्थापना करनी हो मिट्टी रखकर उसमे पहले जौ बो दें, इसके बाद उस मिट्टी पर थोड़ा सा अक्षत छिड़कर उसके ऊपर कलश स्थापित करें और उसमे गंगाजल डालें,इसके बाद उसमे एक रुपए का सिक्का,अक्षत, सुपारी डाले, फिर इसके ऊपर आम के पत्तो का डंडल रखकर उसपे कसोरा रखकर उसे चावल से भर दे। इसके बाद चावल से भरे कसोरे के ऊपर नारियल को स्वस्तिक बनाकर उसे लाल चुनरी में लपेटकर फिर उसे मौली या नारे से बांध कर उसके ऊपर रखे। देवी दुर्गा की पूजा साधना के लिए 09 दिनों तक जलने वाला अखंड दीप जलाएं और पहले दिन मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा करे और उनके मंत्र का जाप करें।
Chaitra Navratri 2023 के मुख्य दिन
नौरात्रि के दिन | तारीख | पूजा | दिवस | प्रसाद |
पहला दिन | 22 मार्च | मां शैलपुत्री | बुधवार | घी का दूसरा |
दूसरा दिन | 23 मार्च | मां ब्रह्मचारिणी | वृहस्पतिवार | शक्कर का भोग |
तीसरा दिन | 24 मार्च | मां चंद्रघंटा | शुक्रवार | दूध का भोग |
चौथा दिन | 25 मार्च | मां कुष्मांडा | शनिवार | मालपूए का भोग |
पांचवा दिन | 26 मार्च | मां स्कंद माता | रविवार | केले का भोग लगाएं |
छठा दिन | 27 मार्च | मां कात्यायनी | सोमवार | शहद का भोग लगाएं |
सातवा दिन | 28 मार्च | मां कालरात्रि | मंगलवार | गुड़ का भोग |
अठवा दिन | 29 मार्च | मां महागौरी | बुधवार | नारियल का भोग |
नवा दिन | 30 मार्च | मां सिद्धिदात्री | वृहस्पतिवार | तिल का भोग लगाए |
नवरात्रि 2023 की मुख्य पूजा सामग्री
नवरात्रि पूजा के मौके पर मां नवदुर्गा का श्रृंगार किया
जाता है। पूजा के लिए मां दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा ली जा सकती है। मां दुर्गा के
लिए चुनरी जैसी आपकी प्रतिमा या तस्वीर हो हिसाब से ले लीजिए इसके साथ कुमकुम या बिंदी,
सिंदूर, काजल, मेहंदी, गजरा, लाल रंग का जोड़ा, मांग टीका, नथ, कान के झुमके, मंगल सूत्र,
बाजूबंद, चूड़ियां, कमरबंद, बिछुआ, पायल, और पूजन सामग्री में लाल वस्त्र, मौली, दीपक, घी/तिल का तेल, धूप, नारियल, साफ चावल, कुमकुम, फूल, देवी की प्रतिमा या फोटो, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, किशमिश,बताशे या मिसरी, कपूर, फल-मिठाई,फुल माला, अड़वुल की माला,व कलावा (नारा) आदि।
नवरात्री की कथा
जब श्री राम के वन वास के समय रावण द्वारा सीता जी का हरण कर लिया गया था और जब श्री राम जी लंका पहुंचे और जब लंका में भगवान राम और रावण के बिच युद्ध चल रहा था
तो लंका विजय और रावण के वध के लिए लंका के युद्ध
में ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण विजय के लिए चंडी देवी का पूजन कर यज्ञ करके देवी को
प्रसन्न करने को कहा और बताए गए विधि अनुसार श्री राम ने पूजन और हवन करना शुरू किया और चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ एक सौ आठ नीलकमल की
व्यवस्था की गई। वहीं दूसरी ओर रावण ने भी अमरता के लोभ में विजय की कामना से चंडी
पाठ प्रारंभ किया। यह बात जब इंद्र देव को पता चली तो इंद्र देव ने पवन देव के माध्यम
से श्रीराम के पास पहुँचाई और परामर्श दिया कि चंडी पाठ यथासभंव पूर्ण होने दिया जाए।
इधर हवन सामग्री में पूजा स्थल से एक नीलकमल रावण की मायावी शक्ति से गायब हो गया और
राम का संकल्प टूटता-सा नजर आने लगा। भय इस बात का भी था कि देवी माँ रुष्ट न हो जाएँ।
दुर्लभ नीलकमल की व्यवस्था तत्काल असंभव थी, तब भगवान श्री राम को सहज ही स्मरण हुआ
कि मुझे भी लोग 'कमलनयन नवकंच लोचन' कहते हैं, तो क्यों न संकल्प पूर्ति हेतु अपना
एक नेत्र ही अर्पित कर दिया जाए और प्रभु राम जैसे ही तूणीर से एक बाण निकालकर अपना
नेत्र निकालने के लिए तैयार हुए, तब देवी प्रकट हुई, हाथ पकड़कर कहा- राम मैं प्रसन्न
हूँ और उन्हें विजयश्री का आशीर्वाद प्रदान किया। वहीं रावण के चंडी यज्ञ में श्री
हनुमान जी बालक का रूप धर करके सेवा में जुट
गए।और हनुमान जी निःस्वार्थ सेवा देखकर हनुमानजी
से वर माँगने को कहा। इस पर हनुमान ने विनम्रतापूर्वक कहा- प्रभु, आप प्रसन्न हैं तो
जिस मंत्र से यज्ञ कर रहे हैं, उसका एक अक्षर मेरे कहने से बदल दीजिए। ब्राह्मण इस
रहस्य को समझ नहीं सके और तथास्तु कह दिया।आप मंत्र में जयादेवी... भूर्तिहरिणी में
'ह' के स्थान पर 'क' उच्चारित करें, यही मेरी इच्छा है। भूर्तिहरिणी यानी कि प्राणियों की पीड़ा हरने वाली
और 'करिणी' का अर्थ हो गया प्राणियों को पीड़ित करने वाली, जिससे देवी रुष्ट हो गईं
और रावण का सर्वनाश करवा दिया। हनुमानजी महाराज ने श्लोक में 'ह' की जगह 'क' करवाकर
रावण के यज्ञ की दिशा ही बदल दी, और लंका युद्ध में प्रभु श्री राम को विजय प्राप्ति
हुई और दुनिया रावण के अत्याचार से मुक्त हुई ।
चैत्र नवरात्रि 2023 में क्या करें, क्या न करें?
क्या करना चाहिए नवरात्रि में-
#1- चैत्र नवरात्रि में लोग मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए 9 दिनों तक व्रत करते हैं ऐसे में ध्यान रखें कि मां दुर्गा का पूजन और आरती सुबह और शाम दोनों समय विधि-विधान से करना चाहिए।
#2- नवरात्रि में पूजा करते समय दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का भी पाठ अवश्य करना चाहिए, इससे मां दुर्गा प्रसन्न होती है।
#3- नवरात्रि में अगर आप 9 दिनों का व्रत कर रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि चारपाई या बेड के बजाए जमीन पर बिस्तर बिछा कर सोएं।
#4- नवरात्रि में पूरे परिवार को सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।
#5- नवरात्रि का अगर आप व्रत करते हैं तो आप को इस समय शुद्ध विचार और अच्छे कर्म करने चाहिए।
क्या नही करना चाहिए नवरात्रि में-
नवरात्री 2023 FAQ
Q1-नवरात्रि कब से शुरू हो रही है?
Q2- नवरात्रि में किसी पूजा होती है?
Q3-एक साल में कुल कितने नवरात्रि होते हैं?
Q4-चैत्र नवरात्रि को कैसे मनाया जाता है?
नवरात्रि 2023 conclusion
पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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