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Pitru Paksha 2023 mantra aur vidhi: जानें श्राद्ध की विधि, तिथियां, नियम, और महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार पितृपक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से ही शुरु होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है पितृ पक्ष 29 सितंबर यानी आज से शुरू हो चुके हैं,मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। पित्रो के आशीर्वाद से जीवन में आने वाली कई प्रकार की समस्या दूर होती हैं। आइए जानते है विस्तार से Pitru Paksha 2023 mantra aur vidhi: जानें श्राद्ध की विधि, तिथियां, नियम, और महत्व। पितृ पक्ष 2023 पितृ पक्ष 2023 Pitru Paksha 2023 mantra aur vidhi: पितृ पक्ष के दौरान कुल देवताओं, पितरों और पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट की जाती है, वर्ष में पंद्रह दिन की विशेष अवधि में श्राद्ध कर्म किए जाते हैं और इसकी शुरुआत आज से हो चुकी है. श्राद्ध पक्ष को पितृपक्ष और महालय के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पृथ्वी पर सूक्ष्म रूप में आते हैं और उनके नाम से किए जाने वाले तर्पण को स्वीकार करते हैं. इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। पितृ पक्ष 2023 का कुतुप मुहूर्त 29

Pitru Paksha,Pitra Visarjan 2022: पितृ पक्ष अमावस्या 2022 की विधि और उपाय

पितृ पक्ष अमावस्या पूरे महीने पृथ्वी पर रहने के बाद पितृत लोगो के धरती से वापस पितृ लोक जाने का समय आ जाता है करीब 15 दिन धरती पर गुजार के पितृ लोग वापस अपने लोक में चले जाते है और फिर अगले साल पितृ पक्ष में आते है इन्ही 15 दिन में उनको जो तर्पण और श्राद्ध से जो कुछ प्राप्ति होती है उसी को लेकर अपने कुटुंब को फलने फूलने का आशीर्वाद देकर पितृ लोक को विदा लेते है  ऐसे में अगर आप से किसी पितृ जिसका आप को ज्ञात न हो या ऐसे किसी पितृ का जिसकी तिथि आप को ज्ञात न हो या फिर जिसकी मृत्यु चतुर्थी या पूर्णिमा को हुई हो या अमावस्या को तिथि को हुई हो उनका का या किसी पितृ का आपने तिथि ज्ञात होते हुए भी आप न कर पाए हो उसका श्राद्ध पितृ विसर्जन को करने का विधान है इस तिथि को महालया या पितृ अमावस्या भी कहते है पितृ अमावस्या का विशेष महत्त्व है क्योंकि इस दिन ज्ञात अज्ञात सारे पितरों का श्राद्ध और तर्पण कर सकते हैं और पितृ ऋण से मुक्त हुआ जा सकता है पितृ भी श्राद्ध और तर्पण पाकर अपने परिवारजनों को आशीर्वाद देकर खुशी खुशी अपने लोग चले जाते है  कब पड़ रहा है पितृ अमावस्या,या पितृ विसर्जन पितृ पक्ष अमावस्य

Matri Navami 2022 मातृ नवमी 2022 :पितृ पक्ष में कब और क्यों मनाते है

  पितृ पक्ष में मातृ नवमी कब और क्यों मनाते है पितृ पक्ष में पितरों को याद किया जाता है जैसे हम भगवान की पूजा करते है और हमारा मंगल होता है उससे तरह पितृ या पूर्वज भी हमको मंगल और शुभ का आशीर्वाद देते है और हमारी रक्षा करते है  इसलिए पितृ पक्ष में पितरों को याद किया जाता है और उनका तर्पण और श्राद्ध किया जाता क्युकी मान्यता है पितृ पक्ष में पूर्वज या पितृ लोग पितृ लोक से पृथ्वी पर वापस आते है जब हम उनका श्राद्ध और तर्पण करते है तो वो प्रसन होते है और हमारी रक्षा करते है और हमारा मंगल करते है  इस बार 2022 में करीब 12 सालो बाद पितृ पक्ष 16 दिन का पड़ा है  मातृ नवमी पितर पक्ष की नवमी तिथि अर्थात अश्विन कृष्ण नवमी के दिन माताओं, सुहागिन स्त्रियों और आज्ञात महिलाओं के श्राद्ध करने का विधान है। अतः इस श्राद्ध तिथि को मातृ नवमी कहा गया है। हमारे पुराणों में लिखा है की पितृ दोष निवारण के लिए भी पितृ पक्ष में पितरों का श्रद्धा के श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती हैं और घर में सुख समृद्धि आती है और वृद्धि होती है पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष भी कहते है क्यों की इसमें श्रद्धा पूर

Pitra paksh : पितृ पक्ष और पितृ पक्ष की श्राद्ध विधियां । कैसे और कब करे पित्रो का श्राद्ध जाने पूरे विधि विधान

  पितृ पक्ष और पितृ पक्ष की श्राद्ध विधियां । कैसे और कब करे पित्रो का श्राद्ध जाने पूरे विधि विधान  हिंदू पंचाग के अनुसार पितृ पक्ष का आरंभ भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्वनी मास की अमावस्या तक रहता है इन्ही 16 दिनों में हर तिथि को जिस तिथि में जिस पितृ की मृत्यु हुई होती है तो उनका श्राद्ध उनकी तिथि के अनुसार होता है श्राद्ध श्रद्धा पूर्वक होना चाहिए श्रद्धा से होने के कारण ही इसका नाम श्राद्ध पक्ष पड़ा है तो यह सारे कार्य श्रद्धा पूर्वक ही करें इस बार 2022 में पितृ पक्ष 10 सितंबर 2022 से शुरू होकर 25 सितंबर 2022 तक चलेगा इसी दिन से अश्वनी मास की कृष्ण  पक्ष की अमस्या तिथि लग जाएगी  10 सितंबर से अगस्त मुनि के तर्पण के साथ ही पितृपक्ष का आरंभ हो जाएगा पितृ पक्ष में पितरों के श्राद्ध एवम तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है पितृपक्ष में विधि विधान से सारे कार्य करने से से सारे कार्य करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और सुख समृद्धि आती है और मनचाही संतान की प्राप्ति होती है पित्र दोष क मुक्ति के लिए पित्र पक्ष में श्राद्ध और तर्पण