पितृ पक्ष में मातृ नवमी कब और क्यों मनाते है
पितृ पक्ष में पितरों को याद किया जाता है जैसे हम भगवान की पूजा करते है और हमारा मंगल होता है उससे तरह पितृ या पूर्वज भी हमको मंगल और शुभ का आशीर्वाद देते है और हमारी रक्षा करते है इसलिए पितृ पक्ष में पितरों को याद किया जाता है और उनका तर्पण और श्राद्ध किया जाता क्युकी मान्यता है पितृ पक्ष में पूर्वज या पितृ लोग पितृ लोक से पृथ्वी पर वापस आते है जब हम उनका श्राद्ध और तर्पण करते है तो वो प्रसन होते है और हमारी रक्षा करते है और हमारा मंगल करते है इस बार 2022 में करीब 12 सालो बाद पितृ पक्ष 16 दिन का पड़ा है
मातृ नवमी
पितर पक्ष की नवमी तिथि अर्थात अश्विन कृष्ण नवमी के दिन माताओं, सुहागिन स्त्रियों और आज्ञात महिलाओं के श्राद्ध करने का विधान है। अतः इस श्राद्ध तिथि को मातृ नवमी कहा गया है।
हमारे पुराणों में लिखा है की पितृ दोष निवारण के लिए भी पितृ पक्ष में पितरों का श्रद्धा के श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती हैं और घर में सुख समृद्धि आती है और वृद्धि होती है पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष भी कहते है क्यों की इसमें श्रद्धा पूर्वक सारा काम किया जाता है इसलिए इसे श्राद्ध पक्ष भी कहते है
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है। तथा पितर पक्ष की नवमी तिथि अर्थात अश्विन कृष्ण नवमी के दिन माताओं, सुहागिन स्त्रियों और आज्ञात महिलाओं के श्राद्ध करने का विधान है। अतः इस श्राद्ध तिथि को मातृ नवमी कहा गया है।
मातृ नवमी में किनका श्राद्ध होता है
पितृपक्ष में पड़ने वाला नवमी तिथि जिसे मातृ नवमी श्राद्ध के रूप में जानते हैं। दरअसल, इसका संबंध दिवंगत महिला परिजनों के श्राद्ध से है। जी हां, परिवार की ऐसी महिलाएं जिनकी मृत्यु सुहागन के रूप में हुई थी, उनके लिए यह श्राद्ध विशेष महत्व रखता है। ये महिलाएं आपके घर की दादी, मां, बेटी, बहन आदि हो सकती हैं जो दिवंगत हो चुकी हैं। माना जाता है की मातृ नवमी के दिन विधि-विधान से इनके लिए श्राद्ध कर्म काण्ड हो तो ये घर के सदस्यों से बेहद प्रसन्न होती हैं। साथ ही अपना आशीर्वाद उन पर बनाए रखती हैं। ऐसे में आपका घर खुशहाल रहेगा। लंबे समय से चली आ रही परेशानियों से भी छुटकारा मिल सकता है।
ऐसा माना जाता है, कि मातृ नवमी में महिलाओं का विधि-विधान के साथ श्राद्ध के साथ-साथ तर्पण भी किया जाए तो मातृ शक्ति प्रसन्न होती हैं तथा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण भी करती हैं। मातृ नवमी को नवमी श्राद्ध, नौमी श्राद्ध तथा अविधवा श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता हैं
आश्विन मास के कृष्णपक्ष की नवमी तिथि ही मातृ नवमी श्राद्ध के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन परिवार के सदस्य अपनी माता और परिवार की ऐसी महिलाओं का श्राद्ध करते हैं, जिनकी मृत्यु एक सुहागिन के रूप में होती है।
मातृ नवमी पे क्या करे
प्रातः स्नान आदि करने के बाद साफ सादे वस्त्र पहिने.
चौकी पर सफेद आसन बिछाकर मृत परिजन की तस्वीर / चित्र रखें।
चित्र पर माला, फूल चढ़ाएं, उनके समीप काले तिल का दीपक एवं घूप बत्ती जलाएँ.
तस्वीर पर गंगा जल एवं तुलसी दल अर्पित करें तथा गरूड़ पुराण, गजेन्द्र मोक्ष अथवा भागवत गीता का पाठ करें।
पाठ करने के पश्चात श्राद्ध के अनुसार सात्विक भोजन बना कर घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखें।
गाय, कौआ, चींटी, चिड़िया तथा ब्राह्मण के लिए भी भोजन अवश्य निकालें।
अपने मृत परिजन को याद करते हुए अपनी भूल के लिए उनसे क्षमा मांगे एवं यथा शक्ति दान अवश्य दें।
इस दिन तुलसी जी का पूजन अवश्य करें।
तुलसी पर जल चढ़ा कर उनके समीप दिया जलाएं।
अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये।
श्राद्ध पूजन के बाद अगर संभव हो तो गजेंद्र मोश्र, गरुड़ पुराण या फिर भागवत गीता के नौवें अध्याय का पाठ करें। इसके बाद श्राद्ध का भोजन दक्षिण दिशा में रखें और ब्राह्मणों को भोजन करा कर उन्हें सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा दें। ध्यान रहे! पितरों को इस दिन तांबे के लोटे से जल और काले तिल के साथ तर्पण करना बिल्कुल न भूलें यथा संभव हो तो किसी जरूरत मंद को दान करे
श्राद्ध का भोजन
मातृ नवमी श्राद्ध मुहूर्त
नवमी श्राद्ध सोमवार, सितम्बर 19, 2022 को
नवमी तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 18, 2022 को 04:32 शाम बजे
नवमी तिथि समाप्त – सितम्बर 19, 2022 को 07:01 शाम बजे
कुतुप मूहूर्त – 11:50 सुबह से 12:39 दोपहर
अवधि – 00 घण्टे 49 मिनट्स
रौहिण मूहूर्त – 12:39 दोपहर से 01:28 दोपहर
अवधि – 00 घण्टे 49 मिनट्स
अपराह्न काल – 01:28 दोपहर से 03:55 शाम
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