पितृ पक्ष अमावस्या
पूरे महीने पृथ्वी पर रहने के बाद पितृत लोगो के धरती से वापस पितृ लोक जाने का समय आ जाता है करीब 15 दिन धरती पर गुजार के पितृ लोग वापस अपने लोक में चले जाते है और फिर अगले साल पितृ पक्ष में आते है इन्ही 15 दिन में उनको जो तर्पण और श्राद्ध से जो कुछ प्राप्ति होती है उसी को लेकर अपने कुटुंब को फलने फूलने का आशीर्वाद देकर पितृ लोक को विदा लेते है
ऐसे में अगर आप से किसी पितृ जिसका आप को ज्ञात न हो या ऐसे किसी पितृ का जिसकी तिथि आप को ज्ञात न हो या फिर जिसकी मृत्यु चतुर्थी या पूर्णिमा को हुई हो या अमावस्या को तिथि को हुई हो उनका का या किसी पितृ का आपने तिथि ज्ञात होते हुए भी आप न कर पाए हो उसका श्राद्ध पितृ विसर्जन को करने का विधान है इस तिथि को महालया या पितृ अमावस्या भी कहते है पितृ अमावस्या का विशेष महत्त्व है क्योंकि इस दिन ज्ञात अज्ञात सारे पितरों का श्राद्ध और तर्पण कर सकते हैं और पितृ ऋण से मुक्त हुआ जा सकता है पितृ भी श्राद्ध और तर्पण पाकर अपने परिवारजनों को आशीर्वाद देकर खुशी खुशी अपने लोग चले जाते है
कब पड़ रहा है पितृ अमावस्या,या पितृ विसर्जन
पितृ पक्ष अमावस्या या महालय इस बार 25 तारीख को पढ़ रही है वैसे तो पूरा कृष्णपक्ष ही पितरों को समर्पित होता है लेकिन इसमें भी पितृ पक्ष अमावस्या का विशेष महत्त्व है इसमें लोग अपने भूले बिसरे पितरों का श्राद्ध और तर्पण करते हैं और पितृ संतुष्ट होकर अपने वंशजों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक पितृलोक चले जाते जाते हैं वैसे तो हर अमावस्या का महत्त्व पितरों के लिए होता है लेकिन अश्विनी मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या का विशेष महत्त्व है इस दिन सूर्य और चन्द्रमा एक ही राशि में होते हैं और दोनों ही हमारे पितरों से संबंधित है सूर्य को पिता और चंद्रमा को माता की संज्ञा दी जाती है इसलिए पितृ पक्ष अमावस्या का महत्त्व बढ़ जाता है और लोग विधि विधान से इस दिन श्राद्ध तर्पण का कार्यक्रम करते हैं और अपने पितरों से आशीर्वाद लेते है क्योंकि जब पितृ संतुष्ट होते हैं तभी धरती पर उनका कुनबा भी संतुष्ट होता है और फलता फूलता है पितृपक्ष अमावस्या का इसलिए बहुत महत्त्व है
पितृपक्ष अमावस्या महालया पितृ विसर्जन का महत्त्व
हमारे पुराणो में पितृपक्ष अमावस्या का विशेष महत्त्व है जो की अश्विनी मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या होती है मान्यता है कि इस दिन अपने पूर्वजों को जल तर्पण या श्राद्ध तर्पण करने से मनुष्य को अपने पितृ ऋण से मुक्ति मिल जाती है इस तिथि को ज्ञात अज्ञात सारे पितरों का जल और श्राद्ध तर्पण और पिंडदान कर सकते हैं अगर आपने पूरे पित्र पक्ष भी अपने पूर्वजों और पितरों को याद न किया हो तो केवल इस पित्र विसर्जन के दिन या पितृ अमावस्या को उनका श्राद्ध और तर्पण करने से भी वो खुश हो जाते हैं इस दिन पितृ लोगो को याद करके दान धर्म और ब्राह्मणों को भोजन कराने वह निर्धन को भोजन कराने और दान देने का बहुत महत्त्व है इस दिन दान धर्म करने से राहु का दोष भी खत्म हो जाता है
पितृपक्ष अमावस्या का मुहूर्त
आमवस्या तिथि 25 सितंबर सुबह से लेकर 26 सितंबर सुबह तक है आप किसी सुयोग्य ब्राम्हण से पूछ सकते है और पिंडदान श्राद्ध तर्पण किसी सुयोग्य कर्मकांडी ब्राम्हण से ही करवाए पिंडदान के बाद ब्राह्मण भोजन के बाद हो घर के लोग भोजन करे
भोजन में क्या बनाए :
इस दिन खीर पूड़ी बनाने का विशेष महत्व है तो इस दिन खीर पूड़ी अवश्य बनाए और आप अपने पितरों के मन पसंद का भोजन भी बनाए और थोड़ा थोड़ा भोजन निकल कर गाय कौआ और कुत्ता को खिलाए फिर ब्राह्मण भोजन करवाएं
पितृ पक्ष अमावस्या की विधि कैसे करे
इस दिन प्रातः उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करे साफ सुथरी रसोई में श्राद्ध के लिए सात्विक भोजन तैयार करें भोजन बनाने के बाद में सारे भोजन में से थोड़ा-थोड़ा भोजन निकाल पत्तल या दोने में निकाल कर एक थाली में लगाएं अब अपने घर के आंगन में या छत पर जाकर पत्तल में भोजन को जल के साथ रखें। अब पितरों से उसे ग्रहण करने का आग्रह करें और भोजन को कौआ गाय और कुत्ता को खिला दे
पितरों से आप कोई गलती हुई हो इसके लिए क्षमा मांगे शाम के समय चौखट पर सरसों के तेल के दीपक जलाकर रखें। अब पितरों से आशीर्वाद मांगे की हमारे कुल में वृद्धि हो ऐसा आशीर्वाद मांगे और उनको अपने परिवार पे कृपा बनाए रखने का आग्रह करे और उनके पितृ लोक लौटने का आग्रह करें।
पितृ दोष निवारण विधि
वैसे तो पित्र दोष निवारण हर आमवस्या को कर सकते हैं लेकिन अश्वनी मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या का विशेष महत्व है और मान्यता है इस दिन पीपल का पेड़ लगाने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और मनुष्य खुश हाल रहता है
अश्वनी कृष्ण पक्ष अमावस्या या सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ में कांसे या पीतल के पात्र में जल, दूध, काला तिल, शहद और जौ चढ़ना चाहिए इसके साथ बर्फी या पेड़ा जटादार नारियल पानी वाला एक रुपए का सिक्का साथ में जनेऊ भी होना चाहिए. पीपल के पेड़ की परिक्रमा करते हुए “ॐ सर्वपितृ देवताभ्यो नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए इससे भी पितृ ऋण और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है
हमारे पुराणों में कहा गया है जब पितृ तृप्त होते तभी देवता भी तृप्त और संतुष्ट होते है तो इसलिए आप भी इस पितृ अमावस्या पर विधि विधान पूर्वक अपने पितृ लोगो का श्राद्ध और तर्पण करे और आशीर्वाद प्राप्त करे और उनको फिर अगले साल आने को कहे
कुछ महत्वपूर्ण पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर
Q1- Pitru Paksha पितृ विसर्जन या पितृ अमावस्या महालया कब पड़ती है ?
Ans पितृ अमावस्या अश्वनी माह की कृष्ण पक्ष अमावस्या को पड़ती है
Q2- पितृ अमावस्या को किसका श्राद्ध और तर्पण होता है ?
Ans- ऐसे पितृ जिसका आप को ज्ञात न हो या ऐसे किसी पितृ का जिसकी तिथि आप को ज्ञात न हो या फिर जिसकी मृत्यु चतुर्थी या पूर्णिमा को हुई हो या अमावस्या को तिथि को हुई हो उनका का या किसी पितृ का आपने तिथि ज्ञात होते हुए भी आप न कर पाए हो उसका श्राद्ध पितृ विसर्जन पितृ अमावस्या को करने का विधान है
Q3- पितृ पक्ष कब से कब तक होता है ?
Ans- पितृ पक्ष आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा से लेकर कृष्ण पक्ष अमावस्या तक होता है इस दौरान लोग अपने पितृ का श्राद्ध और तर्पण करते है
Q4- पितृ पक्ष क्यों मनाया जाता है ?
Ans – पितृ दोष के निवारण और पितृ की शांति के लिए पितृ पक्ष मनाया जाता है लोग पितरों का श्राद्ध तर्पण और पिंडदान करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते है
Q5- पितृ पक्ष के बाद क्या शुरू होता हैं?
Ans- पितृ पक्ष के बाद नवरात्रि शुरू होती है पौराणिक मान्यता है की अमावस्या या महालया के दिन ही देवी दुर्गा का धरती पर अवतरण हुआ था
डिसक्लेमर
अलग अलग पंचांगों के कारण तिथि और मुहूर्त में अंतर हो सकता है आप किसी सुयोग्य ब्राह्मण से पूछ सकते है
आप यह भी पढ़ सकते हैं मातृ नवमी , पितृ पक्ष
आप को हमारा ब्लॉक कैसा लगा कमेंट में जरूर बताएं आपके विचार हमें अच्छा करने के लिए प्रेरित करते हैं
Comments
Post a Comment