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Gyanvapi Case : ज्ञानवापी केस आइए जानते है ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ जी मंदिर विवाद

काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी के ज्ञानवापी क्षेत्र में है जहा पहले पुरानी मंदिर थी उसे तोड़ कर मस्जिद बना दी गई थी। और वही पर श्रृंगार गौरी का मंदिर भी है जो अब मस्जिद क्षेत्र में है यहीं पे नियमित पूजा करने के लिए वाराणसी कोर्ट में अर्जी दी गई है उसे ही Gyanvapi Case : ज्ञानवापी केस  आइए जानते है ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ जी मंदिर विवाद कहते है तो जानते है पूरा मामला मेरे इस पोस्ट में :-

Gyanvapi Case : ज्ञानवापी केस आइए जानते है ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ जी मंदिर विवाद


वैसे ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ जी मंदिर विवाद  ये मामला इस समय खूब चर्चा में सारे देश के लोगो और मीडिया की निगाहे इस मामले पर हैं जब से  मामला कोर्ट में गया है  ताजा मामला विश्वनाथ जी मंदिर और श्रृंगार गौरी मंदिर में  नियमित पूजा को लेकर है कोर्ट ने इस मामले को लेकर सुनवाई की तारीख 22 सितम्बर दे दी गई है और कोर्ट ने कहा है की मामला सुनवाई योग्य है अब यह विषय और चर्चित हो गया है क्यों मुस्लिम पक्ष का कहना था की मामला ही सुवाई योग्य नहीं है , ज्ञानवापी केस : आइए जानते है ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ जी मंदिर विवाद के बारे में ।

मुस्लिम पक्ष को यकीन था की 1991 के वरशिप एक्ट के तहत केस खारिज हो जाएगा  क्या है वरशिप एक्ट पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 एक अधिनियम है, जो 15 अगस्त 1947 तक अस्तित्व में आए हुए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को एक आस्था से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने और किसी स्मारक के धार्मिक आधार पर रखरखाव पर रोक लगाता है. यह केंद्रीय कानून 18 सितंबर, 1991 को पारित किया गया था. हालांकि, अयोध्या विवाद को इससे बाहर रखा गया था क्योंकि ये केस  पहले से लंबित है और अब ज्ञानवापी केस को इससे बाहर रखा गया है ।


काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद 

पूजा स्थल कानून 


बता दें कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 एक अधिनियम है, जो 15 अगस्त 1947 तक अस्तित्व में आए हुए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को एक आस्था से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने और किसी स्मारक के धार्मिक आधार पर रखरखाव पर रोक लगाता है. यह केंद्रीय कानून 18 सितंबर, 1991 को पारित किया गया था. हालांकि, अयोध्या विवाद को इससे बाहर रखा गया था क्योंकि उस पर कानूनी विवाद पहले से चल रहा ।

अब एक नई बहस छिड़ जायेगी जहा मंदिर तोड़ कर अक्रताओ ने मस्जिद बनाई क्या सब कोर्ट जाने योग है ।

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेस मुस्लिम पक्ष के रूल 7 नियम 11 के आवेदन को खारिज किया। मुख्य रूप से उठाए गए तीन बिंदुओं- प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, काशी विश्वनाथ ट्रस्ट और वक्फ बोर्ड से इस वाद को बाधित नहीं माना और श्रृंगार गौरी वाद सुनवाई योग्य माना। जिला जज ने 26 पेज के आदेश का निष्कर्ष लगभग 10 मिनट में पढ़ा। इस दौरान सभी पक्ष हिन्दू पक्ष और उनके वकील विष्णु शंकर जैन , हरिशंकर जैन  और मुस्लिम पक्ष और उनके वकील  मौजूद रहे।

जब से ये मामला कोर्ट में गया था तभी से सब लोग आस में में थे की फैसला क्या होगा अब जब आ गया तो एक ओर जहा हिंदू पक्ष घी के दिए जलाने की बात कर रहा वाहि  मुस्लिम पक्ष हाई कोर्ट जाने को कह रहा है ।

एक नजर कब क्या क्या हुआ 


18 अगस्त 2021 को श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन पूजन का मामला राखी सिंह और अन्य चार महिलाओं द्वारा वाराणसी के अदालत में दायर किया गया था ।

तत्कालीन सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का आदेश दिया था।
 
कमीशन की कार्यवाही के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी और मामले की पोषणीयता पर सवाल उठाए थे ।

16 मई 2022 को सर्वे की कार्यवाही के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 23 मई 2022 से इस मामले में  वाराणसी जिला कोर्ट में सुनवाई चल रही है ।
 
24 अगस्त को इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था और 12 सितंबर को फैसला सुनाने का ऐलान किया था

12 सितंबर को फैसला हिन्दू पक्ष में आया की श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है और अगली तारीख 22 सितंबर की दी है  ।


वैसे अब देखने लायक है आगे महामहिम कोर्ट क्या फैसला देती है।

अब जानते है विश्वनाथ जी का इतिहास History of Kashi Vishwanath Temple 

जब से काशी है तब से काशी विश्वनाथ है क्यों की वो हर त्योहार में है महाश्मशान की  होली या फिर काशी वासियों को मोक्ष देने की बात  काशी विश्वनाथ  हमेशा रहे , आइए फिर भी जानते है काशी विश्वनाथ मंदिर को अतीत के आइनो से 

द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख काशी विश्वनाथ मंदिर अनादिकाल से काशी में है। यह स्थान शिव और पार्वती का आदि स्थान है इसीलिए आदिलिंग के रूप में अविमुक्तेश्वर को ही प्रथम लिंग माना गया है। इसका उल्लेख महाभारत और उपनिषद में भी किया गया है। ईसा पूर्व 11वीं सदी में राजा हरीशचन्द्र ने जिस विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था उसका सम्राट विक्रमादित्य ने जीर्णोद्धार करवाया था। उसे ही 1194 में मुहम्मद गौरी ने लूटने के बाद तुड़वा दिया था।

इतिहासकारों के अनुसार इस भव्य मंदिर को सन् 1194 में मुहम्मद गौरी द्वारा तोड़ा गया था। इसे फिर से बनाया गया, लेकिन एक बार फिर इसे सन् 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह द्वारा तोड़ दिया गया। पुन: सन् 1585 ई. में राजा टोडरमल की सहायता से पं. नारायण भट्ट द्वारा इस स्थान पर फिर से एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। इस भव्य मंदिर को सन् 1632 में शाहजहां ने आदेश पारित कर इसे तोड़ने के लिए सेना भेज दी। सेना हिन्दुओं के प्रबल प्रतिरोध के कारण विश्वनाथ मंदिर के केंद्रीय मंदिर को तो तोड़ नहीं सकी, लेकिन काशी के 63 अन्य मंदिर तोड़ दिए गए।

डॉ. एएस भट्ट ने अपनी किताब 'दान हारावली' में इसका जिक्र किया है कि टोडरमल ने मंदिर का पुनर्निर्माण 1585 में करवाया था। 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर काशी विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया। यह फरमान एशियाटिक लाइब्रेरी, कोलकाता में आज भी सुरक्षित है। उस समय के लेखक साकी मुस्तइद खां द्वारा लिखित 'मासीदे आलमगिरी' में इस ध्वंस का वर्णन है। औरंगजेब के आदेश पर यहां का मंदिर तोड़कर एक ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई। 2 सितंबर 1669 को औरंगजेब को मंदिर तोड़ने का कार्य पूरा होने की सूचना दी गई थी। औरंगजेब ने प्रतिदिन हजारों ब्राह्मणों को मुसलमान बनाने का आदेश भी पारित किया था आज भी बहुत से मुसलमान ब्राह्मण और ठाकुरों के बंजश है।

सन् 1752 से लेकर सन् 1780 के बीच मराठा सरदार दत्ताजी सिंधिया व मल्हारराव होलकर ने मंदिर मुक्ति के प्रयास किए। 7 अगस्त 1770 ई. में महादजी सिंधिया ने दिल्ली के बादशाह शाह आलम से मंदिर तोड़ने की क्षतिपूर्ति वसूल करने का आदेश जारी करा लिया, परंतु तब तक काशी पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राज हो गया था इसलिए मंदिर का नवीनीकरण रुक गया। 1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था।

अहिल्याबाई होलकर ने इसी परिसर में विश्वनाथ मंदिर बनवाया जिस पर पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने सोने का छत्र बनवाया। ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने ज्ञानवापी का मंडप बनवाया और महाराजा नेपाल ने वहां विशाल नंदी प्रतिमा स्थापित करवाई।

1809 में काशी के हिन्दुओं ने जबरन बनाई गई मस्जिद पर कब्जा कर लिया था, क्योंकि यह संपूर्ण क्षेत्र ज्ञानवापी मं‍डप का क्षेत्र है जिसे आजकल ज्ञानवा एमएलपी मस्जिद कहा जाता है। 30 दिसंबर 1810 को बनारस के तत्कालीन जिला दंडाधिकारी मि. वाटसन ने 'वाइस प्रेसीडेंट इन काउंसिल' को एक पत्र लिखकर ज्ञानवापी परिसर हिन्दुओं को हमेशा के लिए सौंपने को कहा था,  कभी संभव नहीं हो पाया और आज तक नही हो पाया है ।

आज भी हिंदू  पक्ष कोर्ट में है ।

और आज भी कोर्ट केस और याचिका पे याचिका बस दायर हो रही है  देखते है क्या फैसला आता है ।

वैसे कोई बुरा न माने मेरे मन ये विचार है की अगर काशी में भोलेनाथ न होते तो इसका नाम क्यों काशी विश्वनाथ मंदिर होता ये आज से तो नहि है कई पुराणों महाभारत काशी खंड में और न जाने कहा कहा जिक्र है सब ऐसे तो नही है आप भी सोचे  ।

अभी ये केस बहुत आगे तक चलेगा देखते है क्या फैसला  होता है ।

कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर

Q1- काशी विश्वनाथ मंदिर कहा पर स्थित है ? 

Ans- काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी  varansi में  स्तिथ है ।


Q2- ज्ञानवापी मस्जिद कहा स्तिथ है ?

Ans- ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी के ज्ञान वापी क्षेत्र में है ।


Q3- किस तारीख को कोर्ट ने श्रृंगार गौरी मंदिर केस को सुनने लायक बताया था ?

Ans- 12 सितम्बर को कोर्ट ने श्रृंगार गौरी मंदिर केस को सुनने लायक बताया था और उसपे बहस हो सकती है ।


Q4- काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी विवाद कब से है ?

Ans- काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी विवाद कई सालो पुराना है ज्यादा जानने के लिए आप हमारा पोस्ट पढ़ सकते है ।



आप इसे भी पढ़ सकते हैं Pan Card

आप को हमारा ब्लॉग Gyanvapi Case : ज्ञानवापी केस  आइए जानते है ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ जी मंदिर विवाद कैसा लगा कॉमेंट में जरूर बताएं आप के विचार हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है । आप पोस्ट को शेयर भी कर सकते  है ।

धन्यवाद 

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