कृष्ण
कृष्ण या कृष्णा या जगदीश्वर या जगत पालक प्रभु कृष्णा आज उनकी जन्म अष्टमी है बहुत सी भ्रांतिया है जो हम आज भी मानते है आइए जानते हैं योगेश्वर को करीब से:-
आज भी हमारे समाज में कृष्णा या कृष्ण जी को लेकर तमाम भ्रांतियां है जैसे की प्रभु माखन चोर थे जब की वास्तिवकता थी की उन्होंने माखन 8 या 10 साल की अवस्था तक ही चुराया था या चोरी किया होगा क्यों की आज भी बचकाने काम इस उम्र में छूट जाते है और ओ तो स्वय योगेश्वर थे ।
कृष्ण जी 16साल तक ही विरांदवान में थे उसके बाद वो फिर कभी वहा नही गए न उन लोगों से मिले जो उनके साथी थे न गोप न गोपिकाएं फिर कभी नही फिर वो कान्हा से कृष्ण हो गए ।
उसके बाद उन्होंने गृह कार्य करना सुरु कर दिया था ओ सर्वत्र और सब जगह रहने वाले थे बाल्यकाल तो जब उनके गुरु संदीपनी ने उनको 15 या 16 वर्ष की उम्र में समझाया की आप क्या है और आप का कार्य क्या है तभी खत्म हो गया था ।
जिस राधा से उनको या उनका अल्लौकिक प्रेम संबंध बताया जाता है वो भी 16 या 17 की अवस्था तक ही था ।
हा ये बात अलग है राधा प्रेम की अधितास्ति थी तभी तो हम कृष्ण राधा नही राधा कृष्ण कहते है क्यों की राधा प्रेम की मूर्ति प्रेम को सृजन करने वाली क्यों की राधा ही कृष्ण को कृष्ण बनाती है उनके अंदर प्रेम जगाने वाली है इसलिए ही राधा पहले आती है ।
मेरे हिसाब से तो राधा ही प्रेम सीखाने वाली है जो स्वय जगदीश्वर योगेशर कृष्ण को प्रेम का पर्याय बनाती है ।
एक और बात की कृष्ण जी हमेशा बसुरी बजाते थे जबकि ओ सिर्फ 16 की अवस्था तक ही बसूरी बजाते थे क्यों की जब उनके गुरु संदीपनी ने उनको बताया कि वो क्या है और उनके जीवन का लक्ष्य क्या है तो उन्होंने बसुरी राधा जी को समर्पित कर थीं ।
और बोले की मैं बसुरी सिर्फ तुम्हारे लिए बजाता था अब मैं जा रहा हु और तुम होगी नही तो मैं बसुरी किसके लिए बजाऊंगा तो इसको तुम रख लो फिर मैं वापस कभी नही आऊंगा हम अब न मिलेंगे उसके बाद कृष्ण ने कभी बसुरी न बजाई उसके बाद बसुरी राधा जी के पास थी उसके बाद बसुरी राधा जी ने बजाई।
फिर 19 से 21 साल की अवस्था तक ओ तपस्वी की तरह रहें और तब किया और मान को और लोगो को काबू करना सीखा उसके बाद का उनका जीवन राजनीतिक और कूटनीतिक रहा फिर उन्होंने कभी बचपन वाला आचरण नहीं किया वो हमेशा से परिस्थितयो के अनुकूल रहे है तभी तो वो योगेश्वर है ।
21 से लेकर तमाम जीवन वो राजनीतिक और कूटनीतिक ही रहा है बाकी तो आप सब ने खूब पढ़ा होगा मेरे हिसाब से तो योगेश्वर ऐसे ही रहे होगे ऐसा कई गुरुओं का विचार है ।
कृष्ण स्वय सारे कलाओं के स्वामी है तो उनको समझना हमारे मन के परे है हम तो बस क्या कहे ।
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