Bharat Ratna Atal Bihari Vajpayee : भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई : अटल बिहारी वाजपेई का जीवन परिचय, जन्म, राजनीतिक जीवन
अटल बिहारी वाजपेई : Atal Bihari Vajpayee
पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापन कार्य तो करते ही थे इसके अतिरिक्त वे हिंदी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। पुत्र में काव्य के गुण वंशानुगत परिपाटी से प्राप्त हुए। महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति "विजय पताका" पढ़कर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी। अटल जी की बी॰ए॰ की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे।
कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एम॰ए॰ की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल॰एल॰बी॰ की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये। डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी कुशलता पूर्वक करते रहे।
अटल जी का राजनैतिक सफ़र स्वतंत्रता संग्रामी के रूप में शुरू हुआ. 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में बाकि नेताओं के साथ उन्होंने भाग लिया और जेल भी गए, इसी दौरान उनकी मुलाकात भारतीय जनसंघ के लीडर श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई. अटल जी ने मुखर्जी जी के साथ राजनीती के दाव पेंच सीखे. मुखर्जी जी का स्वास्थ ख़राब रहने लगा और जल्दी ही उनकी मौत हो गई, इसके बाद अटल जी ने ही भारतीय जनसंघ की बागडौर संभाल ली और इसका विस्तार पुरे देश में किया.
राजनीतिक जीवन Political Life
वर्ष 1952 में अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार लखनऊ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, पर सफलता नहीं मिली। वे उत्तरप्रदेश की एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उतरे थे, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
अटल बिहारी वाजपेयी को पहली बार सफलता 1957 में मिली थी। 1957 में जनसंघ ने उन्हें तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया। लखनऊ में वे चुनाव हार गए, मथुरा में उनकी ज़मानत जब्त हो गई, लेकिन बलरामपुर संसदीय सीट से चुनाव जीतकर वे लोकसभा पहुंचे। के तौर पर उत्तर प्रदेश जिले के बलरामपुर लोकसभा सीट से इलेक्शन के लिए टिकट दी गयी और अटल जी ने लोकसभा चुनाव में अपनी पहली जीत दर्ज की। इसके बाद उनकी उपलब्धि को देखते हुए उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। अटल जी 2 साल तक मोरारजी देसाई कि सरकार में वर्ष 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे जिससे हमारे देश की प्रति विदेशों में एक विश्वासी देश की पृष्ठभूमि तैयार करने में उनका बहुत योगदान रहा।
इसके बाद सन् 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपनी एक पार्टी का गठन किया जो थी भारतीय जनता पार्टी और 06 अप्रैल 1980 को अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला। लोकसभा चुनाव सन् 1996 में भारतीय जनता पार्टी का देश भर में पहला विजय चुनाव रहा। इस चुनाव से बीजेपी ने देश में पहली बार अपनी सरकार को स्थापित किया, और मात्र 13 दिनों के लिए 06 मई से 21 जून 1996 तक देश के दसवें प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी ने शपथ ली।
अटल जी पहली बार प्रधान मंत्री बने
6 मई 1996 को अटल जी ने पहली बार प्रधान मंत्री पद की शपथ ली वो देश के 10 वे प्रधान मंत्री बने , 13 दिनों बाद 21 जून 1996 को ही सरकार गिर गई । मात्रा 13 दिन सरकार चलाने के बाद ,
अटल जी की सरकार गिर गई और फिर सन् 1988 में सरकार गिरने के 2 साल बाद पार्टी सत्ता में आई और 19 मार्च 1998 में अटल जी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली ।
और फिर 10 अक्टूबर 1999 को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ ली।
इस बार जब अटल जी जब प्रधानमंत्री बने तब उनका कार्यकाल पूरा 5 साल का रहा और ये सबसे अधिक सफल माना गया.
पूर्व प्रधानमंत्री और 'भारत रत्न' अटल बिहारी वाजपेयी देश के एकमात्र ऐसे राजनेता थे, जो चार राज्यों के छह लोकसभा क्षेत्रों की नुमाइंदगी कर चुके थे। उत्तर प्रदेश के लखनऊ और बलरामपुर, गुजरात के गांधीनगर, मध्यप्रदेश के ग्वालियर और विदिशा और दिल्ली की नई दिल्ली संसदीय सीट से चुनाव जीतने वाले वाजपेयी इकलौते नेता हैं।
1954 में बलरामपुर से वे मेम्बर ऑफ़ पार्लियामेंट चुने गए. जवानी के दिनों में भी अटल जी को अपनी सोच व समझ के कारण राजनीती में काफी आदर व सम्मान मिला।
1968 में दीनदयाल उपाध्या की मौत के बाद अटल जी जन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए. इसके बाद उन्होंने कुछ सालों तक नानाजी देसाई, बलराज मध्होक व लाल कृष्ण आडवानी के साथ मिलकर जन संघ पार्टी को भारतीय राजनीती में आगे बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की।
1977 में भारतीय जन संघ पार्टी ने भारतीय लोकदल के साथ गठबंधन कर लिया, जिसे जनता पार्टी नाम दिया गया. जनता पार्टी ने बहुत जल्दी ग्रोथ की और लोकल चुनाव में उसे सफलता भी मिली, इसके बाद जनता पार्टी के लीडर मोरारजी देसाई जब प्रधानमंत्री बने और सत्ता में आये तब अटल जी को एक्सटर्नल अफेयर मिनिस्टर बनाया गया. इसी के बाद वे चाइना व पाकिस्तान दौरे में गए, जहाँ उन्होंने इस देशों से भारत के संबंध सुधारने का प्रस्ताव रखा।
1979 में जब मोरारजी देसाई ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया, तब जनता पार्टी भी बिखरने लगी. अटल जी ने 1980 में लाल कृष्ण आडवानी व भैरव सिंह शेखावत के साथ मिल कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) बनाई, और पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए. अगले पांच सालों तक अटल जी ही पार्टी के अध्यक्ष रहे.
1984 के चुनाव में बीजेपी सिर्फ 2 सीट से हारी, जिसके बाद अटल जी ने पार्टी को मजबूत बनाने के लिए जी तोड़ काम किया और पार्लियामेंट के अगले चुनाव 1989 में बीजेपी 88 सीटों की बढ़त के साथ आगे रही.
1991 में विपक्ष की मांग के चलते एक बार फिर पार्लियामेंट में चुनाव हुआ, जिसमें एक बार फिर बीजेपी 120 सीटों के साथ आगे रही.
1993 में अटल जी सांसद में विपक्ष के लीडर बनके बैठे. नवम्बर 1995 में मुंबई में हुई बीजेपी कांफ्रेंस में अटल जी को बीजेपी का प्रधानमंत्री प्रत्याशी घोषित किया गया।
अटल बिहारी वाजपेयी का प्रधानमंत्री बनने का सफ़र –
1996 में हुए चुनाव में बीजेपी एक अकेली सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी थी. मई 1996 में बीजेपी को जीत मिली और अटल जी को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया. लेकिन बीजेपी को दूसरी पार्टियों से सपोर्ट नहीं मिला, जिस वजह से बीजेपी सरकार गिर गई और मात्र 13 दिन में अटल जी को पद से इस्तीफा देना पड़ा।
1996 से 1998 के बीच में 2 बार दूसरी सरकारें बनी लेकिन सपोर्ट ना मिलने से वे भी गिर गई. इसके बाद बीजेपी ने दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर नेशनल डोमेस्टिक पार्टी (NDA) का गठन किया. बीजेपी फिर सत्ता में आई लेकिन इस बार भी उनकी सरकार 13 महीने की रही, अन्ना द्रविदा मुन्नेत्रा पार्टी ने अपना सपोर्ट वापस ले लिया था।
1999 में कारगिल में हुई भारत पाकिस्तान के युद्ध में भारत को मिली विजय ने अटल जी की सरकार को और मजबूत बना दिया. इस जीत से लोग उन्हें एक अच्छे भावी लीडर के रूप में देखने लगे।
इसके बाद हुए चुनाव में बीजेपी ने NDA को फिर से मजबूत किया, और चुनाव में खड़े हुए. कारगिल की जीत से भारतवासी बहुत प्रभावित हुए, और सबने बीजेपी को फिर से जीता दिया, जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे।
बाजपेयी सरकार ने इस बार पुरे 5 साल पुरे किये, और पहली नॉन कांगेस पार्टी बन गई. सभी पार्टीयों के सपोर्ट से अटल जी ने निर्णय लिया कि वे देश की आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए प्राइवेट सेक्टर को आगे बढ़ाएंगे. अटल जी की मुख्य योजनायें नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना रही।
अटल जी विदेश में इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा दिया व आईटी सेक्टर के प्रति लोगों को जागरूप किया। सन 2000 में अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत दौरे पर आये, इस दौरे का दोनों देश की प्रगति व रिश्ते में बहुत प्रभाव पड़ा।
2001 में अटल जी ने पाकिस्तान के रास्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ को भारत आने का न्योता भेजा. वे चाहते थे भारत पाक के रिश्तों में सुधार हो, आगरा में हुई ये वार्ता आज तक लोगों को याद है. इसके बाद लाहौर के लिए बस भी शुरू हुई जिसमें खुद अटल जी ने सफ़र किया. लेकिन उनकी ये मुहीम सफल नहीं रही, अटल जी की फोरेन पालिसी ने बहुत बदलाव नहीं किया, लेकिन इस बात को जनता ने बहुत सराहा।
अटल जी की योजनाएं
2001 में अटल जी ने सर्व शिक्षा अभियान की भी शुरुवात की।
आर्थिक सुधार के लिए अटल जी ने बहुत सी योजनायें शुरू की, जिसके बाद 6-7 % ग्रोथ रिकॉर्ड की गई. इसी समय पूरी दुनिया में भारत का नाम जाना जाने लगा।
2004 में कांग्रेस की जीत के साथ अटल जी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
सन 2005 में अटल जी ने राजनीती से रिटायरमेंट की बात घोषित कर दी. इसके बाद 2009 में हुए चुनाव में उन्होंने हिस्सा भी नहीं लिया।
अटल जी के बड़े मुख्य काम –
सत्ता में आने के जस्ट 1 महीने बाद अटल जी व उनकी सरकार ने मई 1998 में राजिस्थान के पोखरम में 5 अंडरग्राउंड नूक्लियर का सफल टेस्ट करवाए. परीक्षण पूरी तरह से सफल रहा, जिसकी चर्चा देश विदेश में भी जोरों पर रही।
अटल जी द्वारा शुरू किये गए नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (NHDP) व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) उनके दिल के बेहद करीब थी, वे इसका काम खुद देखते थे. NHDP के द्वारा उन्होंने देश के चार मुख्य शहर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई व कोकत्त्ता को जोड़ने का काम किया. PMGSY के द्वारा पुरे भारत को अच्छी सड़कें मिली, जो छोटे छोटे गांवों को भी शहर से जोड़ती।
कारगिल युद्ध व आतंकवादी हमले के दौरान अटल जी द्वारा लिए गए निर्णय, उनकी लीडरशिप व कूटनीति ने सबको प्रभावित किया जिससे उनकी छवि सबके सामने उभर कर आई।
इस महान राजनेता ने अपने जीवन की अंतिम सांस दिल्ली के एम्स में 16 अगस्त, 2018 को ली. इनका इलाज कर रहे डॉक्टरों के मुताबिक इनका निधन निमोनिया और बहु अंग विफलता के कारण हुआ
सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये 2015 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
अटल जी हाजिर जवाब भी बहुत थे जब वो अपनी पाकिस्तान किं यात्रा पर थे तो वहा पर एक पत्रकार ने उनसे कहा में आप से शादी कर लूंगी पर मुझे मुंह दिखाई में हिंदुस्तान चाहिए
अटल जी तपाक से कहा ठीक है पर मुझे दहेज में पूरा पाकिस्तान चहिए वो पत्रकार चुप हो गई कुछ नही कहा ।
पद्म विभूषण अटल बिहारी वाजपेई
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई
अटल बिहारी बाजपेई
1. पूरा नाम अटल बिहारी वाजपेयी
2. जन्म 25 दिसम्बर 1924
2. मृत्यु 16 अगस्त 2018
3. जन्म स्थान ग्वालियर, मध्यप्रदेश
4. माता-पिता कृष्णा देवी, कृष्णा बिहारी वाजपेयी
5. विवाह नहीं हुआ
6. राजनैतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी
7. अवार्ड 1992 – पद्म विभूषण
1994 – लोकमान्य तिलक अवार्ड
1994 – बेस्ट सांसद अवार्ड
1994 – पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त अवार्ड
2014 – भारत रत्न
अटल जी एक महान राज नेता एक अच्छे वक्ता और एक अच्छे कवि भी थे भारतीय राजनीति में उनको हमेशा याद किया जाएगा।
उनको विपक्षी भी पसंद करते थे वो गजब के हाजिर जवाब व्यक्ति थे उनके हाजिर जवाबी के किस्से जग मशहूर है ।
उनके किए गए कार्यों और सरकार चलाने को गुड गर्वनेंस भी कहा जाता है ।
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अटल जी बहुत बड़े कद के है उनके बारे में लिखना मेरे बस का नहीं । उन्होंने बहुत सारे काम किए हैं, सब लिखना संभव भी नहीं है अगर कही भूल बस कोई त्रुटि हो तो क्षमा करे ।वो हम सबके प्रिय और श्रद्धेय है।
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