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arjun sisodia hindi kavita yuddha nahin jinke jeevan mein ve bhi bahut abhage honge

आज के लेख में आपके सम्मुख एक वायरल कविता जो मुझे भी प्रेरणा देती है 

अर्जुन सिसोदिया की वायरल कविता 'युद्ध नहीं जिनके जीवन में वे भी बहुत अभागे होंगे

arjun sisodia (अर्जुन सिसोदिया)


युद्ध नहीं जिनके जीवन में
वे भी बहुत अभागे होंगे


युद्ध नहीं जिनके जीवन में

वे भी बहुत अभागे होंगे

या तो प्रण को तोड़ा होगा

या फिर रण से भागे होंगे

दीपक का कुछ अर्थ नहीं है

जब तक तम से नहीं लड़ेगा

दिनकर नहीं प्रभा बाँटेगा

जब तक स्वयं नहीं धधकेगा


कभी दहकती ज्वाला के बिन

कुंदन भला बना है सोना

बिना घिसे मेहंदी ने बोलो

कब पाया है रंग सलौना

जीवन के पथ के राही को

क्षण भर भी विश्राम नहीं है

कौन भला स्वीकार करेगा

जीवन एक संग्राम नहीं है।।


अपना अपना युद्ध सभी को

हर युग में लड़ना पड़ता है

और समय के शिलालेख पर

खुद को खुद गढ़ना पड़ता है

सच की खातिर हरिश्चंद्र को

सकुटुम्ब बिक जाना पड़ता

और स्वयं काशी में जाकर

अपना मोल लगाना पड़ता


दासी बनकरके भरती है

पानी पटरानी पनघट में

और खड़ा सम्राट वचन के

कारण काशी के मरघट में

ये अनवरत लड़ा जाता है

होता युद्ध विराम नहीं है

कौन भला स्वीकार करेगा

जीवन एक संग्राम नहीं है।।


हर रिश्ते की कुछ कीमत है

जिसका मोल चुकाना पड़ता

और प्राण पण से जीवन का

हर अनुबंध निभाना पड़ता

सच ने मार्ग त्याग का देखा

झूठ रहा सुख का अभिलाषी

दशरथ मिटे वचन की खातिर

राम जिये होकर वनवासी


पावक पथ से गुजरीं सीता

रही समय की ऐसी इच्छा

देनी पड़ी नियति के कारण

सीता को भी अग्नि परीक्षा

वन को गईं पुनः वैदेही

निरपराध ही सुनो अकारण

जीतीं रहीं उम्रभर बनकर

त्याग और संघर्ष उदाहरण


लिए गर्भ में निज पुत्रों को

वन का कष्ट स्वयं ही झेला

खुद के बल पर लड़ा सिया ने

जीवन का संग्राम अकेला

धनुष तोड़ कर जो लाए थे

अब वो संग में राम नहीं है

कौन भला स्वीकार करेगा

जीवन एक संग्राम नहीं है।।

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