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Vaman Jayanti : कौन थे भगवान वामन ? वामनजयंती क्या है और क्यों मनाई जाती है ?

वामन जयंती वामन अवतार

हिंदू पंचांग  अनुसार भादो महीने की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि भगवान वामन का जयंती मनाया जाता हैं ।

इस बार 7 सितंबर को भगवान विष्णु के वामन अवतार की जयंती मनाई जाएगी भगवान वामन वही थे जिन्होंने राजा बाली से 3 गज में पूरी पृथ्वी नाप ली थी और तीसरा पग उनके सर पर रखा था आइए जानते वामन भगवान के बारे में  भगवान विष्णु ने पाचवा अवतार भगवान वामन अवतार लिया था उसके पहले भगवान विष्णु जी के चार अवतार वराह अवतार , मत्स्य अवतार , कूर्म अवतार , नरसिंह अवतार हो चुके थे ।

भगवान वामन ने श्रावण नक्षत्र में अवतार लिया था श्रावण नक्षत्र होने से इस व्रत की महत्ता और बढ़ जाती है भक्त सुबह से ही उठकर श्री हरि विष्णु का जाप करते हैं और पंचोपचार विधि से भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करते हैं और फिर सब में प्रसाद बांटते हैं और गरीब जरूरतमंदों को दान भी देते हैं ।

आप भी विधि विधान पूर्वक पूजा पाठ करके भगवान वामन से आशीर्वाद प्राप्त करे।

पूजा विधि

इस दिन श्रावण नक्षत्र में पूजा करना विशेष फलदाई होता है सुबह उठकर नहा धोकर एक जगह साफ सुथरी करके चौकी लगाकर  उस पर केला का पत्ता से सजाकर उस पर बामन भगवान का चित्र रखकर फल फूल  मीठा धूप बत्ती पीला कपड़ा रोरी चंदन नैवेद्य चढ़ाकर भगवान वामन की पूजा करें  और आरती करे और कथा सुने सुनाएं तत्पश्चात ब्राह्मणों में या जरूरतमंदों में दान दें ।

आइए जानते है वामन अवतार की कथा 

एक समय पुरी पृथ्वी पर राजा बली का शासन था राजा बली भगवान विष्णु जी के परम भक्त पहलाद के पौत्र  और राजा विरोचन और माता विशालाक्षी की संतान थे  बलि भी बहुत ही सुनियोजित ढंग से राज्य चला रहे थे  परन्तु राक्षस कुल का होने के नाते उनमें थोड़ा अधर्म और अहंकार भी था   उन्होंने इंद्र से स्वर्ग जीत लिया था और स्वर्ग पर भी शासन कर रहे थे  और अश्वमेध यज्ञ शुरू कर दिया था उन्होंने सौ अश्वमेध यज्ञ करने का संकल्प लिया था 99 अश्वमेघ यज्ञ पूरे हो चुके थे  सौवें यज्ञ को शुरू करने की योजना बना रहे थे इससे देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी मांगी की अगर 100 अश्वमेघ यज्ञ पूरे हो गए तो स्वर्ग पर हमेशा राजा बलि का ही अधिकार रहेगा और देवता अपने अधिकारों के लिए तरसने लगेंगे तो विष्णु भगवान ने उन्हें वापस स्वर्ग दिलाने का आश्वासन दिया और योजना बनाई ।

भगवान विष्णु ने माता अदिति के यहां वामन रूप में जन्म लिया और ब्राह्मण ब्रह्मचारी की तरह रहने लगे जब राजा बली अपना सवा अश्वमेघ यज्ञ शुरू किया तो भगवान बामन उनके पास याचक बनकर चले गए अपने पास एक वामन ब्राह्मण याचक को देखकर बाली बहुत ही खुश हुए और अहंकार से बोले  हे ब्राह्मण वामन आपको क्या चाहिए  महल सोने चांदी आभूषण जो चाहिए मांग लीजिए , इस पर श्री हरि विष्णु जी ने बोला वैसे तो आवश्यकता से अधिक संग्रह नहीं करना चाहिए फिर भी मुझे तपस्या करने के लिए आपके राज्य से 3 पग भूमि की आवश्यकता है ताकि मैं तपस्या कर सकूं आप वचनबद्ध होकर बस वही दे दीजिए राजा बली बोले इसमें क्या समस्या है मैं अभी वचनबद्ध होकर आपको तीन पग भूमि दिए देता हूं ।

राजा बलि के गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें समझाया और बोला कि यह वामन भेष  में साक्षात श्री हरि विष्णु जी है इन्हें कुछ देने का संकल्प ना  ले इस पर बली ने कहा अब मैं जबान दे चुका हूं मुकर तो नहीं सकता वह भी साक्षात जिनके लिए सारे यज्ञ होते हैं वही मांगने आए हैं तो देने में क्या हर्ज है वो सर्वत्र मांग ले इस पर शुक्राचार्य गुस्सा हो गए और बली को श्राप दे दिया तुम मेरी बात नहीं मान रहे हो जाओ तुम्हारा राज पाठ सब नाश हो जाएगा इस पर राजा बलि बोले आप तो नाहक ही मेरी इस दशा के कारण हो गए अब तो श्री हरि विष्णु को आपके श्राप अनुकरण करना है लेने तो वैसे भी वो मुझ से आए हैं और आप उसके कारण हो गए  बाली वामन देवता के पास चले गए और वचनबद्ध होकर उनको तीन पग भूमि  दे दी जैसे ही उन्होंने वचन दिया भगवान विष्णु ने अपना आकार बड़ा कर एक पग में धरती और दूसरे में आकाश को नाप लिया फिर पूछा राजा बलि मैं तीसरा पैर कहां रखूं इस पर राजा ने कहा प्रभु तीसरा पैर आप मेरे सर पर रख दीजिए तब भगवान विष्णु ने तीसरा पैर बली केसर पर रख दिया और उन्हें पाताल लोक का राजा बना दिया और अपने चक्र को उनके रक्षा में लगा दिया ।

vamanjayanti


तो यह थी वामन अवतार की कथा जिसको सुने सुना है वामन जयंती के दिन और पुण्य के भागी बने भगवान विष्णु आपकी सारी मनोकामना को पूर्ण करें। 

कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर 

Q1-वामन जयंती कब मनाई जाती है ? 

Ans- हिंदू पंचांग  अनुसार भादो महीने की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि भगवान वामन का जयंती मनाया जाता हैं ।

Q2- वामन अवतार भगवान विष्णु का कौन सा अवतार है ?

Ans- भगवान विष्णु ने पाचवा अवतार भगवान वामन अवतार लिया था उसके पहले भगवान विष्णु जी के चार अवतार वराह अवतार , मत्स्य अवतार , कूर्म अवतार , नरसिंह अवतार हो चुके थे ।

Q3- राजा बलि कौन थे ?

Ans- राजा बली भगवान विष्णु जी के परम भक्त पहलाद के पौत्र  और राजा विरोचन और माता विशालाक्षी की संतान थे ।

Q4- राजा बलि के गुरु कौन थे ?

Ans- राजा बलि के गुरु दैत्य गुरु शुक्लाचार्य थे ।

Q5- वामन अवतार किस भगवान ने लिया था ?

Ans- वामन अवतार भगवान विष्णु ने लिया था ।

आशा है आप को वामन अवतार के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी अगर कोई त्रुटि हो तो हमे अवगत कराए ।

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धन्यवाद ।

आप यह भीं पढ़ सकते हैं Durga Mandir Varanasi

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