Skip to main content

Hindi Diwas हिंदी दिवस आइए जानते हैं कब शुरू हुआ हिंदी दिवस और क्यों मनाया जाता है

Hindidiwas

 हिंदी दिवस 

14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है हिंदी दिवस हिंदी  भाषा को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है पूरी दुनिया में 12 करोड़ लोग दूसरी भाषा के रूप में और करीब 50  करोड़ लोग  मातृभाषा के रूप में हिंदी को बोलते हैं 

हिंदी को  भारत की जननी भाषा कहा जाता है इसमें सभी भावों को भरने की क्षमता है भारतीय संस्कृति में हिंदी को मातृभाषा माना गया है वास्तव में हिंदी हमें जोड़े रखने का एक भाव है ये हमें एकता अखण्डता में जोड़े रखती है हिंदी को मन की भाषा भी कहते हैं क्योंकि आप सरल शब्दों में अपने मन की बात को रख सकते हैं 

हिंदी फारसी भाषा  के शब्द हिंद से लिया गया है  जिसका अर्थ है सिंधु नदी के किनारे की भूमि, तुर्क जिन्होंने गंगा के मैदान और पंजाब पर हमले किये थे उन्होंने ग्यारहवीं शताब्दी में सिंधु नदी के किनारे बोली जाने वाली भाषा को हिंदी कहा था यही हमारे आधिकारिक भाषा है हिंदी संयुक्त अरब अमीरात में भी एक मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक भाषा के रूप में अंकित है

 जब हमारा देश स्वतंत्र हुआ तो उस समय एक राजभाषा के चुनाव को लेकर मंथन हुआ क्योंकि हमारे देश में कई भाषाएं और बोलियाँ हैं  हर राज्य की अपनी एक अलग अलग बोली इसी सबको देखते हुए 1949 में हिंदी और अंग्रेजी को राज भाषा का दर्जा दिया गया अभी किसी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया है क्योंकि हमारे यहाँ बहुत सारी भाषाएं है 

हर राज्य की अपनी अलग भाषा है हमारे देश में22 आधिकारिक भाषाएँ है जो राज्यों में बोली और समझी जाती है और कम से कम 3600 प्रकार की बोलियाँ या भाषाएं हैं  और उनकी उप बोलियाँ भी है

 हिंदी दिवस क्यों मनाते हैं

1947 में जब देश आजाद हुआ तब एक राष्ट्रराष्ट्रभाषा की जरूरत महसूस हुई हमारे देश में बहुत सारी भाषाएं बोली जाती है इन्हीं सब को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 14 सितंबर 1949 हिंदी और अंग्रेजी को राजभाषा का दर्जा दिया तब इसका विरोध भी हुआ था उसके बाद राष्ट्र भाषा प्रचार समिति के आग्रह पर 14 सितंबर 1953 को हिंदी को बढ़ावा देने के लिए पहली बार हिंदी दिवस मनाया गया तब  से हर वर्ष हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है यह सभी सरकारी कार्यालयों बैंको स्कूलों कॉलेजों में और भी सार्वजनिक और गैर सार्वजनिक सेवा क्षेत्रों मैं मनाया जाता है 

महात्मा गांधी जी का हिन्दी प्रेम

महात्मा गाँधी जी ने एक बार कहा था जिस प्रकार ब्रिटेन इंग्लैंड  में सारे काम और सारे लोग इंग्लिश मैं बात करते उसी प्रकार भारत में भी हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में मानना चाहिए और इसी में सारे काम करने चाहिये महात्मा गाँधी जी हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाना चाहते थे 1918  में आयोजित हिंदी साहित्य सम्मेलन में उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कहा था हालांकि ये संभव अभी तक हो नहीं पाया है अभी तक हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल पाया है हालांकि यह देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है संवाद का सबसे बढ़िया जरिया है

महात्मा गाँधी ने हिंदी को आमजन की भाषा कहा था 1997 में हुए एक सर्वे के मुताबिक हमारे देश में छाछठ प्रतिशत लोग हिंदी बोल लेते है और 77 प्रतिशत लोग हिंदी को समझ लेते हैं हमारे देश भारत के अलावा हिंदी और कई देश में बोली व समझी जाती है 

 विदेशो में हिंदी

 हमारे देश के अलावा प्रशांत महासागर छेत्र के देश फिजी की भी आधिकारिक भाषा हिंदी है फिजी के अलावा तिब्बत, मॉरिशस , त्रिनिनाद, नेपाल,गुयाना, सूरीनाम और फिलीपींस में हिंदी बोली और समझी जाती है बोले जाने वाली सिंधु नदी के किनारे की भाषा को हिंदी कहा था यही हमारी आधिकारिक भाषा है  हिंदी का क्षेत्र लगातार बढ़ता जा रहा है आज पूरे विश्व में हिंदी पढ़ीं और समझी जाती है

इंग्लिश और मंदारिन के बाद हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है अमेरिका के करीब 150 से ज्यादा शिक्षण संस्थानों मैं हिंदी पढ़ाई जाती है अमेरिका क्या विश्व के कई देसों के शिक्षण संस्थानों में हिंदी पढ़ाई जाती है 

विश्व प्रसिद्ध ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी भी भी हर साल अपने शब्दकोश में हिंदी शब्दों को समाहित करती है प्रकाशित करती है ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने नारी शक्ति अच्छा, सूर्यनमस्कार, चड्डी आदि को अपने शब्दकोश में जगह दिया है

  और हर साल ही अपने शब्द कोसमे हिंदी शब्दों को जहाँ दे रही है और हर साल हिंदी के शब्दों का अपने में समाहित कर रही है चाचा चौधरी, अरे यार, गोल गप्पे, पंडित , ठगशब्द पहले से ही शामिल हैं

हिंदी को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए 1975 से हर साल विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया जाता है और 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस भी मनाया जाता है जो कि वैश्विक स्तर पर हिंदी को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है

हिंदी में उच्चतर शोध कार्य के लिए केंद्र सरकार ने 1963 में केन्द्रीय हिंदी संस्थान की स्थापना की वर्तमान में पूरे भारत में इसके आठ केंद्र है जिनमें हिंदी केस शोध कार्य होते हैं 

कैसे मनाएं हिंदी दिवस

हिंदी दिवस पे आप अपने कार्यालय पे स्कूल में कॉलेजों में बैंको में सरकारी और अदर सरकारी उपक्रमों में हिंदी प्रतियोगिता जिसमें निबंध कविता  कहानी आदि लिखनी हो आयोजित कर सकते और पुरस्कार भी वितरण कर सकते हैं हिंदी दिवस पर कोशिश करे सारे काम हिंदी में ही करें उसके बाद हिंदी को बढ़ावा देने में मदद करें हिंदी बोलने में कोई शर्मनाक करें पूरी दुनिया के लोग अपनी भाषा में बात करते हैं और उन्हें कोई झिझक और शर्म नहीं होती है फिर हम हिन्दुस्तानी है अगर हिंदी की अपेक्षा करेंगे तो कैसे हिंदी आगे बढ़ेंगी और हम विश्व गुरु बन पाएंगे इसलिए हिंदी को आगे बढ़ाने के लिए हिंदी में ही बोले हिंदी में बात करें संभव हो तो सारे काम हिंदी में ही करें

हम दुनिया के किसी भी देश में हो कहीं भी हों अपने देश में ही इसी राज्य में हो वहाँ की भाषा अलग हो सकती है लेकिन हम हिंदी में एक दूसरे से बात कर सकते हैं और उनकी बात को समझ भी सकते हैं हिंदी हमें बाँधे रखने का काम करती है जहाँ हमारे देश की एकता और अखंडता को बनाए रखती है इसी लिए तो हम हिंदी हिंदू हिंदुस्तान कहते हैंहमारे देश में सबसे ज्यादा हिंदी फ़िल्में ही बनती है सबसे ज़्यादा न्यूज़ चैनल हिंदी में आते हैं फिर भी हिंदी उपेक्षा का शिकार हो रही है क्योंकि हम हिंदी में बात करने को अपनी तौहीन समझते हैं और दूसरे देशों में वहाँ के राष्ट्राध्यक्ष वहाँ के लोग अपने देश की भाषा को सम्मान देते और अपने ही देश की भाषा में बात करते हैं अरे हमारे यहाँ नेता लोग गेम्स खेलें ज़्यादातर भाषण अंग्रेजी में देना पसंद करते हैं इसमें वो अपना गौरव समझते हैं याद रखें अंग्रेजी और कुछ नहीं बस एक दूसरी भाषा ही है इसे आने से आपका स्टेटस नहीं बढ़ गया था आप अपने लोगो से कैसे मेलजोल और भाईचारा बढ़ा पाएंगे सेव आप हिंदी ही नहीं बोल पाएंगे उनकी भावनाओं को कैसे समझ पाएंगे उनका दर्द कैसे जान पाएंगे उन भावों को कैसे समझ पाएंगे जो आपको हिंदी में ही समझा सकते हैं बहुत सी चीजें हैं जो हम इंग्लिश में अपने लोगों से नहीं समझ सकते हम सब को मिलकर हिंदी को बढ़ाने का सार्थक प्रयास करना चाहिए इसे पूरे विश्व में प्रचारित प्रसारित करना चाहिए ताकि हिंदी को भी वह दर्जा मिली जिसकी वह अधिकारी है हिंदी केवल किताबों में न रह जाए लोगों की जुबान पर रहे यह साहित्यकारों के प्रसिद्भाषा है और फिल्मों की भी प्रसिद्ध भाषा है तो क्यों ना हम इसको भी अपनी प्रसिद्ध भाषा बनाएँ इसको प्रसिद्धि दिलाएँ हिंदुस्तान के नागरिक होने के नाते हिंदी को बढ़ाना हमारा कर्तव्य है अपने बच्चों को हम हिंदी में बात करना सिखाएं बैंको के कार्य जैसे फॉर्म भरना आदि हिंदी वे करें स्कूलों के फॉर्म भी हिंदी में ही भरें जब हम हिंदी को सम्मान  देंगे तभी विश्व भर के लोग मैं हिंदी को सम्मान से देखेंगे और सम्मान देंगेतो आइये मिलकर हिंदी को आगे बढ़ाएँ और भारत को विश्वगुरु बनाएँ जो हिंदी को आगे बढ़ाकर ही संभव होआएगा 

आपको हमारा ब्लॉक कैसा लगा कमेंट में जरूर बताएं आपके विचार समय अच्छा करने के लिए प्रेरित करते हैं बढ़ने के लिए धन्यवाद


आप यह भी पढ़ सकते हैं वाराणसी काशी ,अस्सी घाट


Comments

Popular posts from this blog

Laal Bahadur Shastri : लाल बहादुर शास्त्री आइए जानते है भारत के दितीय लेकिन अदितीय प्रधान मंत्री के बारे में

लाल बहादुर शास्त्री लाल बहादुर शास्त्री आजाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे शान्त स्वभाव के दिखाने वाले शास्त्री जी अंदर से उतने ही मजबूत थे वो जब कोई निर्णय ले लेते तो उस पर अडिग रहते थे उनके कार्यकाल में ही भारत ने पाकिस्तान को जंग में हरा दिया था उनका दिया नारा जय जवान जय किसान  देश वासियों को देश भक्ति की भावना से भर दिया था नतीजा भारत ने 1965 के युद्ध में हरा दिया था और खुद पाकिस्तान ने भी ये नही सोचा था की वो हार जाएगा क्यों की उससे पहले चीन ने 1962 में भारत को हराया था  तो आइए जानते है भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जन्म, परिवार , बच्चे,  , स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने और प्रधान मंत्री बनने और पाकिस्तान को हराने की कहानी हमारे ब्लॉग पोस्ट में तो आइए जानते है  जन्म   श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को   वाराणसी से  16 किलोमीटर   दूर , मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव  एक स्कूल शिक्षक थे। और माता राम दुलारी गृहणी थी , जब लाल बहादुर शास्त्री केवल डेढ़ वर्ष ...

Natarajan Chandrasekaran CEO of Tata group न. चंद्रशेखरन की सैलरी कितनी है

Natarajan Chandrasekaran नटराजन चंद्रशेखरन  आज हम आपको अपने ब्लॉग पोस्ट में टाटा ग्रुप के चैयरमैन न. चंद्रशेखरन के बारे में बता रहे है तो आइए जानते है कौन है न.  चंद्रशेखरन Natarajan Chandrasekaran और क्या करते है टाटा ग्रुप में मेरे इस पोस्ट में  प्रारंभिक जीवन और शिक्षा  early life and education टाटा ग्रुप के चेयरमैन Natarajan Chandrasekaran  न. चंद्रशेखरन का जन्म वर्ष 1963 में तमिलनाडु राज्य में नमक्कल के नजदीक स्थित मोहनुर में एक किसान परिवार में हुआ था.एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं ।चंद्रशेखरन की प्राथमिक शिक्षा तमिल मीडियम स्कूल में हुई और वह अपने दो भाइयों के साथ मोहनूर नाम के गांव में 3 किमी पैदल चलकर स्कूल जाया करते थे। उनको फिर प्राथमिक शिक्षा के बाद प्रोग्रामिंग में लगाव हो गया और फिर   प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात चंद्रशेखरन ने कोयम्बटूर स्थित कोयम्बटूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में नामांकन कराया और यहां से एप्लाइड साइंस में स्नातक की डिग्री हासिल किया. तत्पश्चात वे त्रिची (वर्तमान में तिरुचिराप्पली) स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ...

Manikarnika Ghat : मणिकर्णिका घाट वाराणसी ( काशी ) जहां दिन रात जलती रहती है चिताएं

बनारस शहर या काशी को घाटों का शहर भी कहते है यह पे कुल 6 से 7 किलोमीटर की दूरी पर कुल 84 घाट है इन्ही घाटों में एक मोक्ष प्रदान करने वाला घाट भी है जहा दिन रात चौबीस घंटों चिताओं को जलाया जाता है जिसे Manikarnika Ghat : मणिकर्णिका घाट वाराणसी ( काशी ) जहां दिन रात जलती रहती है चिताएं  कहा जाता है तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से इस पोस्ट में । मणिकर्णिका घाट  मणिकर्णिका घाट काशी के 84 घाटों में सबसे पुराना और प्राचीन घाट है यह घाट अपनी निरंतर और सदियों से जलती चिताओं की आग के कारण जाना जाता है कहते है जिसका यहां अंतिम संस्कार होता है उसको सीधे  मोक्ष की प्राप्ति होती है  मणिकर्णिका घाट उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले और वाराणसी शहर में स्तिथ है आप वाराणसी कैंट से सीधे ऑटो लेकर वाराणसी चौक  चौराहे से आगे गलियों द्वारा जा सकते है । कहते है यहां कभी चिता की आग नही बुझती है हर रोज यहां 250 से 300 करीब शवों का अंतिम संस्कार होता है लोग शवों के साथ अपनी बारी का इंतजार करते है और फिर दाह संस्कार करते है ।  यहां पे आज भी शवों पर टैक्स की पुरानी परंपरा ज...