Farwiza Farhan : फरविजा फरहान आइए जानते है इंडोनेशिया की बहादुर पर्यावरण कार्यकर्ता जो अकेले जंगल बचाने निकली है
फरविजा फरहान
इंडोनेशिया की एक बहादुर लड़की फरविजा फरहान जो एक पर्यावरण कार्यकर्ता है इनको टाइम मैगजीन नेक्स्ट 100 में जगह दी है और अपने कवर पेज पर इनकी पिक्चर को छापा है फरविजा फरहान एक पर्यावरण कार्यकर्ता है जो इंडोनेशिया के जंगलों को बचाने का काम करती है आज इनके काम की तारीफ हर तरफ हो रही है हर प्रतिष्ठित न्यूज एजेंसी ने इनका आर्टिकल छापा और इंटरव्यू लिया है तो आइए जानते है फरविजा फरहान द्वारा किए गए कार्यों को और उनको मिले सम्मान को हमारे इस ब्लॉग पोस्ट में
जन्म
फार्विजा फरहान का जन्म 1मई 1986 में बंडा आचे इंडोनेशिया में हुआ है जो खूबसूरत लूसर इको सिस्टम के करीब है जब फार्विजा फरहान 10 साल की थी तो वो और उनकी फैमिली फरविज़ा फरहान दस साल की थीं, जब उनका परिवार बंडा आचे के पश्चिमी तट पर एक फैमिली ट्रिप पर सड़क मार्ग से गया था । एक तरफ खूबसूरत, पहाड़ थे तो दूसरी तरफ दूर टक फैला हिंद महासागर। वह अब तक का सबसे खूबसूरत नजारा था। उसकी जिज्ञासा ने उसे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आगे के पहाड़ों पर जंगलों के बीच कैसे पहुंच जाए जो बहुत दूर थे और उन्होंने अपने चाचा से पूछा कि वह वहां क्यों नहीं जा सकती, उनके चाचा ने उन्हें बताया कि उन जगहों पर जाने के लिए कोई सड़क अभी नहीं बनी है। उन का मन उन घने जंगलों में जाने को करता
और बच्चो की तरह उनका बचपन भी तितलियां पकड़ते मिट्टी में खेलते पेड़ पर चढ़ते और कीड़े पकड़ते बिता वो बचपन से ही प्रकृति में रमना चाहती थी वो बचपन से ही बीबीसी की नेचर को समर्पित डॉक्यूमेंट्री देखती बड़ी हुई हालाकि उनके घर में पढ़ाई के दौरान टीवी देखना सख्त मना था वो इन्हे छुप कर या जा उनके माता पिता घर में नही होते तब देखती थी इन सब को देखते उनका भी मन प्रकृति में लगने लगा और अंडर वाटर डॉक्यूमेंट्री से प्रभावित होकर उन्होंने मरीन बायोलॉजी पड़ने को चुना जहा उन्हे परिस्थिक तंत्र को मनुष्यो से होने वाले नुकसान के बारे में जाना
फरविजा फरहान बचपन से ही एक ऐसा बगीचा बनाने को सोचती थी जिसमे दुनिया भर के पेड़ हो फिर बड़ी होने पर उनको महसूस हुआ की ऐसा बगीचा तो उनके पास में ही है लूसर इको सिस्टम जिसको अब बचाने की जिमेदारी उठानी होगी मरीन बायोलॉजी से अपना ग्रेजुएशन मलेशिया से कंप्लीट करने के बाद उन्होंने उस संस्था के साथ काम करना चाहा जो लूसर पारिस्थितिकी तंत्र के लिए काम करता हो लेकिन वहा एक समस्या हो गई वहा या तो 10 साल का अनुभव मांगा गया या फिर मास्टर डिग्री तो वो अपना मास्टर डिग्री मास्टर ऑफ एनवायरमेंटल मैनेजमेंट एंड सांस्टेबल डेवोप्लमेंट (2009 – 2010 ) में कंपलीट करने के लिए क्वींस लैंड चली गई और वापस आने पर उन्होंने अपनी पहली जॉब एक सरकारी एजेंसी में शुरू की जो लूसर पारिस्थितिकी तंत्र के बचाव के लिए कार्य करती थी कुछ दिन उन्होंने वहा काम भी किया फिर जब वहा के राज्यपाल ने उनकी एजेसी को बंद करने का फैसला किया तो फरहान को लूसर पारिस्थितिकी तंत्र की चिंता सताने लगी क्यों की वहा बहुत सारे जीवो के जगह और सुरक्षा की बात थी
HakA की स्थापना
नौकरी जाने के बाद फरविजा फरहान और उनके कुछ दोस्तो ने मिलकर 2012 में HakA की स्थापना की जो एक आचे के लिए बनाया गया एनजीओ है HAkA का अर्थ है हुतान (जंगल), आलम (प्रकृति) और लिंगकुंगन (पर्यावरण) आचे है, जिसका अर्थ है "आचे का जंगल, प्रकृति और पर्यावरण।" HAkA का मिशन एक सशक्त नागरिक समाज को इकट्ठा करना है जिसके सदस्य जंगल को बचाने में योगदान करने के लिए एक साथ मिलकर काम कर सके और फिर HakA ने लूसर पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के काम करना शुरू किया शुरू में वो बिना किसी तनख़ा या मदद के अपना कार्य करती थी और फिर कुछ लोगो ने सहयोग देना शुरू किया
लूसर पारिस्थितिकी तंत्र की लड़ाई
लूसर पारिस्थितिकी तंत्र इंडोनेशिया के आचेह और उत्तरी सुमात्रा प्रांतों में उष्णकटिबंधीय तराई के वर्षावन का एक भाग है। यह ऑक्सीजन उत्पादन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और एक जैव विविधता का भी एक महत्व पूर्ण केंद्र है भी , जो पृथ्वी पर अपने तरह का इकलौता अनूठा स्थान है
लूसर पारिस्थितिकी तंत्र दुनिया का आखिरी स्थान है जहां कई प्रमुख जीव प्रजातियां अभी भी एक साथ पाई जा सकती हैं: बाघ, ऑरंगुटान, हाथी और राइनो वन मानूस एक साथ रहते है
इंडोनेशिया के आचे में बड़े पैमाने पर जंगलों को काट के ताड़ के पेड़ लगाए जा रहे थे जिनसे कच्चा तेल (पाम ऑयल) निकलता है उन्होंने अकेले ही इसका विरोध किया उन्होंने सरकारी अधिकारियों से संपर्क किया जब कोई नहीं माना तो वो खुद ही जंगल बचाने को आगे आई और कोर्ट में केस दायर कर दिया
फरविजा फरहान कहना था की जो रियायती कीमत सरकार अभी ले रही है जब उनको पता चलेगा की जंगल बसाने का खर्च इससे कही अधिक है और कंपनिया इसे बिगाड़ रही है वो जंगल को जला कर पेड़ काट कर ताड़ के पेड़ लगा रही है जो पूरे लूसर पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरनाक है और इससे जंगली जानवरों से उनका आवास चीन जायेगा और वो जंगल से निकल कर आबादी में आएंगे और गोली का शिकार हो जायेंगे और यही बात उन्होंने कोर्ट में भी समझाई और लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उनकी जीत हुई और कंपनी पे 26 मिलियन अमरीकी डालर का जुर्माना लगाया गया और जंगल को फिर से संरक्षित करने को कहा गया
और फिर HakA ने एक हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के बांध का काम भी रुकवाया जो की सुमात्रा के हाथियों के लिए संरक्षित क्षेत्र में शुरू हो रहा था
यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में होने के बावजूद, वर्तमान में 2.6 मिलियन हेक्टेयर पारिस्थितिकी तंत्र औद्योगिक परियोजनाओं से खतरे में है।
फरविजा फरहान का काम सभी का ध्यान खीच रहा है वो और उनका पर्यावरण के प्रति प्रेम उनको इस काम में आगे ले जा रहा है वो लोगो को तैयार करती है और कानूनी लड़ाई लड़ने को प्रेरित करती है
शिक्षा
2003-07: B.Sc (ऑनर्स), मरीन बायोलॉजी , यूनिवर्सिटी ऑफ़ सेन्स मलेशिया, पिनांग, मलेशिया
2009-10: मास्टर ऑफ एनवायरमेंटल मैनेजमेंट एंड सांस्टेबल डेवोप्लमेंट , क्वींसलैंड विश्वविद्यालय, ब्रिस्बेन, ऑस्ट्रेलिया
2012-: पीएचडी, कल्चरल एंथ्रोपोलॉजी , रेडबौड विश्वविद्यालय निजमेजेन, नीदरलैंड्स
फरविजा फरहान का करियर
2012- से अब तक : सह-संस्थापक और अध्यक्ष HakA , आचे , इंडोनेशिया
2010-2012: जनसंपर्क प्रबंधक, लूसर पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन प्राधिकरण, आचे , इंडोनेशिया
2009-2010: जूनियर रिसर्चर पार्टनरशिप एंड अलायंस टीम, ग्लोबल कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज इंस्टीट्यूट, मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया
पुरस्कार
2017: फ्यूचर फॉर नेचर अवार्ड
2016: व्हिटली पुरस्कार
2021: प्रिट्जर इमर्जिंग एनवायर्नमेंटल जीनियस अवार्ड
2022 : टाइम मैगजीन के कवर पेज और नेक्स्ट 100 में शामिल
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कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर
Q1- पर्यावरण संरक्षण के लिए सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
उदासीनता। इसके टिकाऊ और सफल होने के लिए हमें कार्यकर्ताओं और आम जनता दोनों को संरक्षण के बारे में दिलचस्पी और सक्रिय रूप से उत्साहित रहने की जरूरत है तब यह हो सकेगा
Q2- फरविजा फरहान का जन्म कहा हुआ है ?
Ans- फार्विजा फरहान का जन्म 1 मई 1986 में बंडा आचे इंडोनेशिया में हुआ है
Q3- HakA की स्थापना कब हुई थी ?
Ans- HakA की स्थापना 2012 में हुई थी
Q4- जंगल क्यों जरूरी है ?
Ans- जंगल इसलिए जरूरी है क्यों की बिना जंगल के न बारिश होगी , न हरियाली होगी , ये जंगली जानवरों के रहने के लिए बहुत जरूरी है जंगल उनका घर है जब जंगल नही रहेंगे तो जंगली जानवर कैसे रहेंगे
Q5- लूसर पारिस्थितिकी तंत्र कहा पर है ?
Ans- लूसर पारिस्थितिकी तंत्र इंडोनेशिया के आचेह और उत्तरी सुमात्रा प्रांतों में उष्णकटिबंधीय तराई के वर्षावन का एक भाग है
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