Varanasi ke Durga mandir : आइए जानते है नवरात्रि में बनारस में कहा कहा होते है दुर्गा जी के नव दुर्गा रूपो के दर्शन
नवरात्रि पर्व शुरू है हैं और हम सब माता रानी के दर्शन पूजन करते है और मनवांछित वरदान की कामना करते है नवरात्रि में माता रानी के नौ रूपो की पूजा होती है यदि आप बनारस में है तो हम आपको यहां के ऊन जगहों के जहा आप नवरात्रि में हर दिन देवी के हर रूपो का दर्शन कर सके बता देतेे है हमारे इस पोस्ट में बनारस में मां दुर्गा के नवो रूपो के नव मंदिरो का बारे में जहा आप दर्शन कर माता का आशीर्वाद पा सकते है हम आपको बताएंगे की आप कहा कहा दर्शन पा सकते हैं नवरात्रि बनारस में भी बहुत धूम धाम से मनाई जाती है तो आइए जानते है नवरात्रि में नव दिन आप कहा कहा देवी के नव रूपो के दर्शन कर सकते है आइए जानते है पहले की देवी के नौ रूप कौन कौन से
दुर्गा सप्तशती में वर्णित श्लोक के अनुसार
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:। उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।
अर्ताथ
1. शैलपुत्री
2. ब्रह्मचारिणी
3. चन्द्रघण्टा
4. कूष्माण्डा
5. स्कंदमाता
6. कात्यायनी
7. कालरात्रि
8. महागौरी
9. सिद्धिदात्री
अब आइए जानते है बनारस में आप इन नव रूपो के दर्शन कहा कहा कर सकते है
शैलपुत्री देवी का मंदिर शैलपुत्री
नवरात्र में पहले दिन शैलपुत्री देवी के रूप में मां की पूजा का विधान है। बनारस में शैलपुत्री मंदिर अलईपुरा रेलवे स्टेशन के पीछे शक्कर तालाब के पास बना हुआ है आप यहां पुराने पुल से होते हुए जा सकते है जो आपको वरुणा नदी पर बना हुआ है शैलपुत्री’ देवीशैलपुत्री’ देवी का विवाह भी शंकरजी से ही हुआ। पूर्वजन्म की भाँति इस जन्म में भी वे शिवजी की ही अर्द्धांगिनी बनीं। नवदुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री दुर्गा का महत्व और शक्तियाँ अनंत हैं
मंत्र
1 ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
2 वंदे वाद्द्रिछतलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम | वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् ||
3 या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः|
ब्रह्मचारणी देवी का मंदिर
नवरात्र में दूसरे दिन ब्रह्मचारणी देवी के रूप में मां की पूजा का विधान है मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर काशी के सप्तसागर (कर्णघंटा) क्षेत्र में स्थित है. दुर्गा की पूजा के क्रम में ब्रह्मचारिणी देवी का दर्शन-पूजन बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. ब्रह्मचारणी देवी का मंदिर काशी के गंगा किनारे बालाजी घाट पर स्थित मां ब्रह्मचारिणी के मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालु मां के इस रूप का दर्शन करने के लिए नारियल, चुनरी, माला-फूल आदि लेकर श्रद्धा-भक्ति के साथ आते है और दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं
मंत्र
1 या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
2 दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
चंद्रघंटा देवी का मंदिर
नवरात्र में तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी के रूप में मां की पूजा का विधान है चंद्रघंटा देवी का मंदिर लक्खी चौतरा के पास गली में स्थित है। यहां मंदिर तक जाने वाली गली बेहद संकरी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जो कोई भक्त नवरात्रि में मां चंद्रघंटा की पूजा पूरे विधि-विधान से करता है, उसे अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। माता रानी के इस रूप को साहस और निडरता का प्रतीक माना गया है
मंत्र
1 या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
कूष्माण्डा देवी मंदिर
नवरात्रि में चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के दर्शन का विधान है बनारस में कूष्माण्डा देवी का मंदिर दुर्गा कुंड पे स्तिथ दुर्गा मंदिर वाराणसी पे है यहां चौथे दिन दर्शन पूजन का विधान है आप यह आराम से पहुच सकते है भक्त सुबह से ही दर्शन को आ जाते है मान्यता है यहां देवी स्वय प्रकट हुई है संस्कृत भाषा में कूष्माण्डा कुम्हड़े को कहा जाता है कुम्हड़े की बलि मां को प्रिय है
मंत्र
1 ॐ कूष्माण्डायै नम:।।
2 सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
स्कंदमाता देवी का मंदिर
नवरात्रि में पांचवे दिन स्कंदमाता देवी के दर्शन का विधान है देवी स्कंदमाता का मंदिर जैतपुरा में स्तिथ है स्कंदमाता का मंदिर जैतपुरा क्षेत्र स्थित बागेश्वरी देवी मंदिर परिसर में है। स्कंदमाता देवी की आराधना का विधान शास्त्रों-पुराणों में किया गया है। मान्यता है यहां देवी की आराधना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही माता के आशीर्वाद से मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होता है। स्कंद अर्थ कार्तिकेय होता है कार्तिकेय की माता होने के कारण ही देवी के इस रूप को स्कंदमाता कहा जाता है
मंत्र
1 ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
2 सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
कात्यायनी देवी मंदिर
नवरात्रि में छठे दिन कात्यायनी देवी के दर्शन का विधान है कात्यायनी देवी का मंदिर वाराणसी के सिंधिया घाट पे है भक्त सुबह से ही कात्यायनी देवी के मंदिर में जुट कर पूजा अर्चना करते है कात्ययान ऋषि ने तपकर देवी से वरदान मांगा था कि आप पुत्री के रूप में मेरे कुल में पैदा हों। देवी ने कात्यायन ऋषि की प्रसन्नता के लिए अपना अजन्मा स्वरूप त्याग कर पुत्री रूप में जन्म लिया था। पिता के गोत्र से जुड़ने के कारण देवी का नाम कात्यायनी पड़ा
मंत्र
1 या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
2 चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
कालरात्रि देवी मंदिर
नवरात्रि में सातवे दिन कालरात्रि देवी के दर्शन का विधान हैं कालरात्रि जी का मंदिर बनारस में माता का मंदिर चौक क्षेत्र के कालिका गली में स्थित है आप यह दशाश्वमेध घाट से भी जा सकते है मां कालरात्रि के दर्शन करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है इस मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता है की भगवान शंकर से नाराज होकर माता पार्वती यह आई थी और कई वर्षो तक कठोर तपस्या की थी
मंत्र
1 ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
महागौरी देवी मंदिर
नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी देवी के दर्शन का विधान है बनारस में इनका मंदिर विश्वनाथ जी के नजदीक अन्नपूर्णा मंदिर है और अन्नपूर्णा जी को महागौरी देवी माना जाता है मान्यता है कि देवी के दर्शन मात्र से ही पूर्ण रूप से पाप नष्ट हो जाते हैं। देवी की साधना करने वालों को समस्त प्रकार के अलौकिक सिद्धियां और शक्तियां प्राप्त होती हैं
मंत्र
1 श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
2 या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
सिद्धिदात्री देवी का मंदिर
नवरात्रि में नवे दिन सिद्धिदात्री देवी के दर्शन करने का विधान है बनारस में सिद्धिदात्री देवी का मंदिर मैदागिन क्षेत्र के गोलघर इलाके में स्थित है। नौवें व अंतिम दिन माता के इस रूप के दर्शन के लिए सुबह से ही भक्तों की कतार लग जाती है। पुराणोंं के अनुसार भगवान शिव ने इन्हीं शक्तिस्वरूपा देवी की उपासना करके सिद्धियां प्राप्त की थीं, जिसके प्रभाव से उनका स्वरूप अर्द्धनारीश्वर का हो गया था। इसे से इनके दर्शन का महत्त्व और भी ज़्यादा है। तो आप भी देवी के इन रूपो के के दर्शन वाराणसी बनारस के अलग अलग क्षेत्रों में कर सकते है आशा है आप को सारे मंदिरो की जानकारी मिल गई होगी तो आप भी दर्शन करके देवी का नवरात्रि में आशीर्वाद प्राप्त करे
कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर
Q1- नवरात्रि में देवी के कुल कितने रूपो की पूजा होती है ?
Ans - नवरात्रि में देवी के कुल 9 रूपो की पूजा होती है
Q2- शैलपुत्री जी का मंदिर वाराणसी में कहा पर है ?
Ans- बनारस में शैलपुत्री मंदिर अलईपुरा रेलवे स्टेशन के पीछे शक्कर तालाब के पास बना हुआ है आप यहां पुराने पुल से होते हुए जा सकते है जो आपको वरुणा नदी पर बना हुआ है
Q3- शिव जी अर्धनारीश्वर रूप किसकी तपस्या करकेप्राप्त हुआ था ? Ans – पौराणिक कथाओं के अनुसार सिद्धिदात्री देवी की तपस्या से शिव जी को अर्धनारीश्वर रूप की प्राप्ति हुई थी
Q4- कूष्माण्डा देवी मंदिर बनारस में कहा पर है ?
Ans- कूष्माण्डा देवी मंदिर बनारस में दुर्गा कुंड पर स्थित है मान्यता है यहां पे देवी स्वय प्रकट हुई हैं
Q5- कात्यायनी देवी मंदिर बनारस में कहा पर है ?
Ans- कात्यायनी देवी मंदिर बनारस में सिंधिया घाट पर स्तिथ है
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