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जानते हैं कि वृहस्पतिवार के दिन गुरु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए

  वृहस्पतिवार के दिन गुरु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए  क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए  ऐसे तो हर दिन विशेष होता है। यह किसी न किसी देवता को समर्पित होता है जिसको ध्यान में रखकर पूजा आराधना की जाती है। आज हम आपको गुरुवार के दिन का महत्व और उपाय बताने जा रहे हैं। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार गुरुवार का दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति को समर्पित है। गुरुवार के दिन विष्णु भगवान और लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी धन और वैभव के प्रतीक हैं। इस दिन बृहस्पतिवार की व्रत कथा भी पढ़ें। इससे दांपत्य जीवन सुखमय होता है और घर में सुख समृद्धि बनी रहती है।इस दिन भगवान विष्णु की आराधना एवं व्रत करने से भगवान विष्णु जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं वहीं बृहस्पतिदेव की कृपा से आराधक के सारे कार्य सुगम हो जाते हैं। यदि व्यक्ति की जन्मपत्री में गुरु ग्रह कमजोर है तो व्यक्ति को कई प्रकार के कष्ट भुगतने पड़ते हैं। न तो वह व्यक्ति ठीक से धन कमा पाता है, न ही उसका वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और न ही उसे अपने करियर में तरक्की मिलती है। आपकी कुंडली में गुरु ग्रह हमेशा मजबूत रहे इसके लिए भगवान

महा मृत्युंजय मंदिर वाराणसी Maha Mrityunjay Mandir Varanasi

                               महा मृत्युंजय मंदिर  महा मृत्युंजय मंदिर वाराणसी (काशी) में विशेवरगंज चौराहे से कुछ 100 मीटर अंदर  दारानगर मोहल्ले में स्थित हैं । यह पूरे भारत में अकेला महा मृत्युंजय महादेव का मंदिर है मृत्युंजय यानी मृत्यु के देवता मान्यता है इनके दर्शन मात्र से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।   महादेव भक्तों को मोक्ष का वरदान भी देते हैं। पूरे देश में सिर्फ काशी में ही महामृत्यंजय महादेव के स्वरूप में भोले बाबा भक्तों को अभय देते हैं। महामृत्युंजय मृत्यु पर विजय दिलाते हैं। ऐसे महादेव का दर्शन तो दूर स्मरण मात्र से मृत्यु तुल्य कष्ट समाप्त हो जाता है। मान्यता है कि जो चल-फिर नहीं सकता उसके कानों में महामृत्युंजय नाम जाने मात्र से वह स्वस्थ होने लगता है। अकाल मृत्यु से मुक्ति दिलाने वाले हैं महामृत्युंजय।  मंदिर  में महामृत्युंजय महादेव का महा मृत्युंजय शिवलिंग तो है ही इस विशाल परिसर में धनवंतरी कूप है जहां भगवान धनवंतरी ने कई जड़ी-बूटियां और औषधियां डाली थीं। इस कूप का जल पीने से पेट के रोग से लेकर तमाम तरह के घाव ठीक होते हैं। इसके अलावा अनेक तरह की व्याधियां द

जेल सुधार कानून (U P)2022 ब्रिटिश हुकूमत के नियम से जेल को मिली आजादी ब्रिटिश काल के नियम से जेल आजाद

          ब्रिटिश हुकूमत के नियम से जेल को मिली आजादी   योगी सरकार का फैसला :- कारागार में बंदियों को मिलेगी अतिरिक्त सुविधाएं  आजादी के 75साल पूरे होने पर योगी सरकार ने प्रदेश की जेलों को को ब्रिटिश काल के प्रावधानों से मुक्त कर दिया है  सरकार ने ऊ.प्र.जेल मैनुअल 1941 को खत्म करके ऊ. प्र. जेल मैनुअल 2022 को मंजूरी दे दी है जिसमे की बंदी (कैदी) और बंदी रक्षक दोनो को आधुनिक सुविधाएं दी जाएगी एक तरफ जहां बंदियों को घर जैसा खाना मिलेगा वही बंदी रक्षको को आधुनिक हाथियार दिए जायेंगे  बंदी रक्षकों को 303 राइफल अंग्रेजो के ज़माने से अब तक मिलती रही है अब उन्हे 9 mm पिस्टल दी जाएगी इससे वो खूंखार अपराधियों से निपटने में सहूलियत होगी  महिला बंदियों के लिए नए कानून में सुविधाएं :- मंगलसूत्र सलवार सूट पहनने की छूट मिलेगी सैनेट्री नैपकिन शैंपू और नारियल तेल रखने की छूट होगी।  करागार में जन्मे बच्चों का जन्म पजीकरण, टीकाकरण एवम नामकरण कराया जायेगा । गर्भवती और नर्सिंग माताओं को पौष्टिक आहार और चिकित्सीय सुविधाएं । दूध पाउडर, चप्पल और कूलर भी मिलेगा । पुरुष बंदियों को नए कानून में सुविधाएं :- द

सिंह संक्रांति Singh Sankranti 2022

                                       Singh Sankranti                         सिंह संक्रांति  17 अगस्त 2022 को सिंह संक्रांति है. सूर्य जब किसी राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन को राशि की संक्रांति कहते हैं. इस दिन सूर्य कर्क राशि से निकलकर अपनी स्वराशि सिंह में आ जाएंगे इसलिए इसे सिंह संक्रांति कहते है । सिंह संक्रांति पर गाय का घी खाने का विशेष महत्व है. इस संक्रांति पर घी का प्रयोग किया जाता है अत इस संक्रांति को घी संक्रांति भी कहा जाता है।  इस दिन घी खाने से राहू केतु  के बुरे प्रभाव से बचा जा सकता है  ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रहों का राजा सूर्य देव एक माह में राशि परिवर्तन करते हैं. सिंह संक्रांति पर सूर्य देव, श्रीहरि विष्णु और भगवान नरसिंह की पूजा करते हैं. भादों में चारों तरफ वर्षा ऋतु चरम पर रहती है. हरियाली होने से पशुओं को हरा चारा भरपूर मात्रा में मिलता है,   मान्यता है कि इस दिन विशेषतौर पर घी खाने से मानसिक और शारीरिक विकास में बढ़ोत्तरी होती है. स्वास्थ के लिहाज से ये बहुत लाभदायक है.  जानते हैं सिंह संक्रांकि का पुण्यकाल और सूर्य पूजा विधि :जेड सिंह संक्रांति पू

Annpurna Mandir Varanasi :अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी (काशी) के बारे में आइए जानते है

Annpurna Mandir Varanasi अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी  जैसा की हम पहले से ही जानते है की वाराणसी ( काशी)  शहर अपने मंदिरो के शहर होने के लिए प्रसिद्ध है यह हर हर जगह कोई न कोई पवित्र व प्रसिद्ध मंदिर है इसी क्रम में आज हम जानेंगे महादेव  की नगरी में एक पवित्र मंदिर मां अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी काशी के बारे में ऐसी मान्यता है की काशी में अन्नपूर्णा जी को स्वयं महादेव जी लेकर आए थे ताकि यहां कोई भूखा न सोए तो आइए जानते है माता अन्नपुर्णा देवी मंदिर के बारे इस ब्लॉग पोस्ट में तो आइए जानते कहा है मंदिर और कैसे पहुंचे और क्या प्रसाद है माता रानी के क्या पौराणिक कथा है अन्नपूर्णा जी के काशी में होने की तो आइए जानते है माता रानी के बारे में  अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी (काशी)  आप वाराणसी कैंट से ऑटो द्वारा मैदागिन और फिर वहा से रिक्शा द्वारा यहां पहुंच सकते है यह मंदिर कैंट स्टेशन से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है लोग काशी विश्वनाथ जी के दर्शन करने के पश्चात माता अन्नपुर्णा के दर्शन करते है आप वाराणसी में कही रुके हो।वहा से काशी विश्वनाथ मन्दिर आसानी से पहुंच सकते है  काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ कदम

Bharat Ratna Atal Bihari Vajpayee : भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई : अटल बिहारी वाजपेई का जीवन परिचय, जन्म, राजनीतिक जीवन

अटल बिहारी वाजपेई : Atal Bihari Vajpayee  भारतीय इतिहास में तीन बार के प्रधानमंत्री रहने वाले अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में  25 दिसंबर 1924  में  मध्य प्रदेश जिले के ग्वालियर  के एक गांव में हुआ था ( पैतृक गांव – बटेश्वर )। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी एक शिक्षक और एक कवि भी थे। उनकी माता का नाम कृष्णा देवी वाजपेयी और उनके 7 भाई बहन भ थे । पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापन कार्य तो करते ही थे इसके अतिरिक्त वे हिंदी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। पुत्र में काव्य के गुण वंशानुगत परिपाटी से प्राप्त हुए। महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति "विजय पताका" पढ़कर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी। अटल जी की बी॰ए॰ की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एम॰ए॰ की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।उसके बाद उन्होंने अपने पित

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख सूत्रधार थीं वीरांगना अवंतीबाई लोधी

  प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख सूत्रधार थीं वीरांगना अवंतीबाई लोधी वीरांगना महारानी अवंतीबाई लोधी का जन्म पिछड़े वर्ग के लोधी राजपूत समुदाय में 16 अगस्त 1831 को ग्राम मनकेहणी, जिला सिवनी के जमींदार राव जुझार सिंह के यह आज भी भारत की पवित्र भूमि ऐसे वीर-वीरांगनाओं की कहानियों से भरी पड़ी है, जिन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर देश के आजाद होने तक भिन्न- भिन्न रूप में अपना अहम योगदान दिया, लेकिन भारतीय इतिहासकारों ने हमेशा से उन्हें नजरअंदाज किया है। देश में सरकारों या प्रमुख सामाजिक संगठनों द्वारा स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े हुए लोगों के जो कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं वो सिर्फ और सिर्फ कुछ प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के होते हैं, लेकिन बहुत से ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैं जिनके अहम योगदान को न तो सरकारें याद करती हैं न ही समाज याद करता है। लेकिन उनका योगदान भी देश के अग्रणी श्रेणी में गिने जाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से कम नहीं है। ऐसी ही स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख सूत्रधार रहीं वीरांगना अवंतीबाई लोधी रानी अवंतीबाई की कहानी ऐसी ही 1857 के प