Skip to main content

Holi 2023 Date: इस साल होली कब है ?जाने होलिका दहन का शुभ मुहूर्त,दिन,पूजा विधि,होली का महत्व,और जान लें भद्रा काल

हमारा देश कई रंग बिरंगे उत्सवों से भरा हुआ है इन्ही में एक बहुत प्यारा त्योहार होली का है,जिसे सारे देश वासी बहुत धूम धाम से मनाते है। Holi 2023 Date: इस साल होली कब है ? अगर आपने मन में भी यह सवाल है तो जान ले की फागुन मास की पूर्णिमा तिथि पर शाम को होलिका दहन होता है।और इसके अगले दिन फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को रंगो का त्योहार होली मनाई जाती है।

Holi2023image


यह पूरे भारत वर्ष में धूम धाम से मनाई जाती है। आइए जानते है आज के हमारे इस पोस्ट  Holi 2023 Date: इस साल होली कब है? (Holi kab hai 2023 me) (Holika dhahan kab hai)(Holika Dahan date aur shubh muhurt) जाने होलिका दहन का शुभ मुहूर्त,पूजा विधि,होली का महत्व,(holi ka mahatv aur shubh muhurt 2023),और जान लें भद्रा काल के बारे में विस्तार से तो आइए जानते है 

होली 2023 दिन और तारीख।Holi 2023 Date

इस बार रंगो का त्योहार होली 8 मार्च बुधवार को मनाया जाएगा।यह पूरे भारत में मनाया जाता है।वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला त्योहार आजकल भारत के अलावा अन्य देशों जैसे: बांग्लादेश, नेपाल,पाकिस्तान, भूटान, ऑस्ट्रेलिया,कनाडा, अमरीका, और यूरोप के देशों में भी मनाया जाता है।

होली के त्योहार को देश के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग नामों से जाना जाता है जैसे बंगाल में दोल जात्रा, गोवा में शिमगो, महाराष्ट्र में रंग पंचमी,पंजाब में होला मोहल्ला, मणिपुर में ययोसंग,तमिलनाडु में कमन पोडिग‌ई, छत्तीसगढ़ में होरी,बिहार में फगुआ, मध्य प्रदेश में भगोरिया,हरियाणा में धुलंडी, कर्नाटक में कामना हब्बा के नाम से मनाया जाता है।

उत्तर प्रदेश के ब्रज की होली और बरसाने की लठमार होली पूरे देश के लोगो और विदेशियों के बीच भी आकर्षण का केंद्र है।

होली सनातन धर्म का और हिंदू कैलेंडर का बहुत बड़ा त्योहार है,इस दिन सारे लोग आपस के मतभेदों को भुलाकर एक हो जाते है।

इस साल 2023 में देश भर में दो दिन होली मनाई जाएगी क्योंकि तिथियों का ऐसा संयोग बना है कि देश के अलग-अलग भागों में लोग अलग-अलग तिथियों में होली मना सकते हैं।

 पर्व  होली
देश   भारत
 होलिका दहन  7 मार्च दिन मंगलवार शाम के समय
होली 8 मार्च दिन बुधवार पूरे दिन
होलिका दहन शुभ मुहूर्त 7 मार्च शाम को 6:25 से लेकर 8:51तक
 पर्व का महत्वआपसी भाई चारा और सबको साथ रखना,रंग खेलना,गुलाल लगाना
मिठाई  गुझिया 

होलिका दहन शुभ मुहूर्त,दिन।Holika Dahan Date aur Shubh Muhurat

इस बार होलिका दहन जिसे छोटी होली भी माना जाता है। होलिका दहन 2023 जिसे बुराई पे अच्छाई की जीत का प्रतीक कहा जाता है,फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को शाम को मनाया जाता है जो की इस बार 7 मार्च मंगलवार को मनाया जाएगा।इस बार होलिका दहन 2023 का शुभ मुहूर्त 2 घंटा 26 मिनट तक है जो 7 मार्च को शाम 6:25 मिनट से लेकर 8:51 माई तक है इसी बीच में होलिका दहन होगा।

होलिका 2023 की स्थापना। Holika ki sthapna kab karte hai

होलिका की स्थापन बसंत पंचमी या फिर शिवरात्रि के दिन गांव या शहर में जिस जगह होलिका का स्थान बना है वहा पे की जाती है,लोग लकड़ी,पुआल,उपले,आदि की मदद से इसकी स्थापना करते है।लोग अपने घरों से भी कुछ उपले और लकड़ी डालते है,ऐसे मान्य है ऐसा करने से घर में सुख शांति आती है,लोग होलिका दहन में गेहूं की बलिया भी जलाते है और उसको खाते भी है।

होलिका दहन 2023 पूजा विधि।Holika Dahan Puja vidhi

होलिका दहन पूरे देश में धूम धाम से माया जाता है,हमारे गांव मे लोग पूरे गांव और फिर होलिका को गोठ के फिर जलाते है,ऐसे ही हर जगह का अलग अलग रिवाज है।लोग होलिका की पूजा भी करते है, ऐसी मान्यता है की ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। तो आइए जानते है होलिका दहन 2023 की पूजा विधि

1#.लोग होलिका दहन से पहले होलिका की पूजा भी करते है,इस विश्वास के साथ किनैसा करने से घर में सुख समृद्धि और शांति आती हैं।

2#.होलिका को पहले कच्चे सूत(मौली) या सफेद धागे से सात या तीन बार उसकी परिक्रमा करके लपेटे।

3#.फिर उस पर जल,कुमकुम या रोरी,और पुष्प छिड़कर पूजा करे ।

4#.फिर अपने घर के सुख समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करे।

5#.ये प्रार्थना करे की आप की और लोगो की बुराइयां भी इसी तरह से खत्म हो जाए।

6#.पूजा के बाद फिर होलिका दहन किया जाता है। 

होलिका दहन का महत्व। Holika Dahan 2023 ka Mahatva

होलिका दहन का त्योहार जो होली से एक दिन पहले मनाया जाता है बसंत ऋतु में फसलों के घर आने के बाद मनाया जाने वाला त्योहार है।ये सर्दियों के मौसम के अंत का भी प्रतीक है।

होलिका दहन से हमारे आस पास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी होलिका दहन में उठने वाली लपटे वातावरण में मौजूद कई कीटाणुओ को खत्म कर देती है।

होलिका दहन की लपटों से हमारे शरीर की समस्या का अंत होता है,यह बुराई पे अच्छाई की जीत का प्रतिक है।

होली पर्व का महत्व।होली 2023 त्योहार में रंग खेलने का महत्व (Holi 2023 tyohaar Mein Rang Ka Mahtva)

होली का त्योहार एकता और भाईचारे का प्रतिक है,इस दिन सारे लोग अपने अपने मन मुटाव और दुश्मनी,लड़ाई झगड़े को भुलाकर एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाते है।

होली के दिन लोग एक दूसरे के घर जाते है और मिलते है,साथ में गुझिया और पकवान खाते है,इससे भी आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।

होली के त्योहार में रंग खेलना समाज के सारे लोगो को एक साथ लाने और उनके बीच की दूरी को काम करने में मदद करता है। यह त्योहार हिंदू धर्म के अलावा अन्य धर्मों में भी मनाया जाता है।

इस दिन लोग मतभेद भुलाकर फिर से मित्र बन जाते है। यह पर्व भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है। होली का त्योहार आपसी झगड़ों को दूर करने में मदद करता है,सभी लोगों को एक दूसरे के करीब लाने में फिर से मदद करता है।

होली का महत्व।होली की पौराणिक कथा। Holi Ki Pauraanik Katha

प्राचीन काल में एक राक्षस राजा हिरण्यकश्यप था,वह खुद को ही भगवान समझता था, वह भगवान से बहुत रूष्ट और क्रोधित रहता था ,खास कर भगवान विष्णु से,उसने अपने राज्य में केवल भगवान विष्णु का नाम लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था और खुद को भगवान मानने लगा था। लेकिन हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। और हमेशा भगवान विष्णु के नाम का जप किया करता था। इससे हिरण्यकाशय को बहुत गुस्सा आता था।उसने प्रहलाद को मारने की कई बार कोशिश की लेकिन वो भगवान विष्णु की कृपा से बच जाता था। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी होलिका जिसको ब्रह्मा जी द्वारा अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था। जब हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रहलाद को अनेक बार समझा कर के परेशान हो गया।तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता बनाकर अग्नि में बैठने को कहा। लेकिन जैसे होलिका आग में बैठी भगवान विष्णु की भक्ति के कारण  प्रह्लाद बच गया और होलिका आग में जल गई। तभी से भक्त प्रह्लाद की भक्ति याद में होलिका दहन की शुरुआत की जाने लगी।

होलाष्टक 2023 कब तक है।Holkastak 2023

होलिका दहन से 8 दिन पहले ही होलाष्टक लग जाता है,इस समय में कोई शुभ कार्य नही किया जाता है। पंचांग के अनुसार साल 2023 में होलाष्टक 27 फरवरी 2023 से प्रारंभ होकर 08 मार्च 2023 को खत्म होगा।धार्मिक मान्यता के अनुसर इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है।

होलाष्टक की कथा भी प्रचलित है कहते है एक बार भगवान इंद्र के कहने पर कामदेव ने शंकर जी की तपस्या को भंग कर दिया था। जिससे नाराज होकर भगवान शंकर ने अपने तीसरे नेत्र से कामदेव को भस्म कर दिया था।शंकर भगवान ने जिस दिन कामदेव को भस्म किया वो फाल्गुन मास की अष्टमी तिथि थी। इससे कामदेव की पत्नी बहुत दुखी हुई और उन्होंने कामदेव की दुबारा जिंदा करने का उपाय पूछा तो उन्हे पता चला की ये महादेव की कृपा से ही हो सकता है।उसके बाद कामदेव की पत्नी रति ने उसी दिन से लगातार 8 दिन तक महादेव की कठिन तपस्या की,और महादेव को प्रसन्न करके अपने पति कामदेव को दोबारा जीवित करने का वरदान मांगा और कामदेव जी जीवित किया।इन्ही आठ दिनों को हिंदू धर्म में होलाष्टक कहा जाता है और इस दौरान कोई शुभ कार्य नही किए जाते है।

होली 2023 FAQ

Q1-होली 2023 में कब है?

Ans- होली 2023 में 8 मार्च दिन बुधवार को है।

Q2-क्या होली पे छुट्टी रहती है?

Ans- होली के पर्व पे पूरे भारत वर्ष में छुट्टी रहती है।

Q3- होलिका दहन कब मनाया जाता है?

Ans- होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को शाम को मनाया जाता है जो की इस बार 7 मार्च मंगलवार को मनाया जाएगा।

Holi 2023 conclusion

आज के इस पोस्ट  हमने आप को होली कब है, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है, किस दिन होलिका दहन है , होलिका दहन की पूजा विधि,होली के त्योहार का महत्व, कथाएं और होलाष्टक के बारे में विस्तार से बताया है।देश के किन भागो में होली किस नाम से मनाई जाती है ये भी बताया है।

आप को हमारा पोस्ट  Holi 2023 Date: इस साल होली कब है ?जाने होलिका दहन का शुभ मुहूर्त,दिन,पूजा विधि,होली का महत्व,और जान लें भद्रा काल कैसा लगा कमेंट में जरूर बताएं अगर कोई गलती हो तो कमेंट में जरूर बताएं आपके विचारो का सदैव स्वागत है।

धन्यवाद।

आप यह भी पढ़ सकते है।

एलोन मस्क का जीवन परिचय 

खान सर पटना 

Chat GPT 

Sam Altman 

Digital marketing क्या होती है जाने 

Google Bard को जाने

Comments

Popular posts from this blog

Manikarnika Ghat : मणिकर्णिका घाट वाराणसी ( काशी ) जहां दिन रात जलती रहती है चिताएं

बनारस शहर या काशी को घाटों का शहर भी कहते है यह पे कुल 6 से 7 किलोमीटर की दूरी पर कुल 84 घाट है इन्ही घाटों में एक मोक्ष प्रदान करने वाला घाट भी है जहा दिन रात चौबीस घंटों चिताओं को जलाया जाता है जिसे Manikarnika Ghat : मणिकर्णिका घाट वाराणसी ( काशी ) जहां दिन रात जलती रहती है चिताएं  कहा जाता है तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से इस पोस्ट में । मणिकर्णिका घाट  मणिकर्णिका घाट काशी के 84 घाटों में सबसे पुराना और प्राचीन घाट है यह घाट अपनी निरंतर और सदियों से जलती चिताओं की आग के कारण जाना जाता है कहते है जिसका यहां अंतिम संस्कार होता है उसको सीधे  मोक्ष की प्राप्ति होती है  मणिकर्णिका घाट उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले और वाराणसी शहर में स्तिथ है आप वाराणसी कैंट से सीधे ऑटो लेकर वाराणसी चौक  चौराहे से आगे गलियों द्वारा जा सकते है । कहते है यहां कभी चिता की आग नही बुझती है हर रोज यहां 250 से 300 करीब शवों का अंतिम संस्कार होता है लोग शवों के साथ अपनी बारी का इंतजार करते है और फिर दाह संस्कार करते है ।  यहां पे आज भी शवों पर टैक्स की पुरानी परंपरा जारी है और आज भी टैक्स वसूला ज

Nobel Prize : नोबेल पुरस्कार क्यों और कब दिए जाते है और क्या होता है नोबेल पुरस्कार

Nobel Prize  नोबेल पुरस्कारों 2022 (nobel prize 2022)की घोसणा हो चुकी है हर साल नोबेल पुरस्कार अपने क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वालो को नोबेल फाउंडेशन द्वारा दिया जाता है तो आपके मन में भी आता होगा क्या होता है नोबेल पुरस्कार तो आइए जानते है नोबेल पुरस्कार क्या होता है कब शुरु किया गया था कब वितरित होता है नोबेल पुरस्कार नोबेल पुरस्कार हर  साल 6 श्रेणि में नोबेल पुरस्कार दिए जाते है पहले पांच श्रेणी में ही नोबेल पुरस्कार दिए जाते थे बाद में अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार 1968 में, स्वीडन के केंद्रीय बैंक ने अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में नोबेल पुरस्कार में  जोड़ा था । स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में साल 1901 से हर साल नोबेल फाउंडेशन द्वारा असाधारण कार्य करने वाले लोगों और संस्थाओं को नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) दिया जाता है. नोबेल पुरस्कार छह अलग-अलग क्षेत्रों में दिया जाता है और हर नोबेल पुरस्कार एक अलग समिति द्वारा प्रदान किया जाता है. नोबेल पुरस्कार को विश्व में बौद्धिक उपलब्धि के लिये दिया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है, जो स्वीडिश आविष्कारक और उ

Search Engines Marketing। सर्च इंजन मार्केटिंग। सर्च इंजन मार्केटिंग कैसे करें। सर्च इंजन मार्केटिंग क्या है। फायदे, प्रकार sem और seo में क्या अंतर है

बढ़ते डिजिटलीकरण के इस दौर में मार्केटिंग भी अखबारों और टीवी से होते हुए इंटरनेट और सोशल मीडिया तक आ पहुंची है।और हर व्यवसाय और सर्विस प्रदाता की यही सोच रहती है की उसकी मार्केटिंग कैंपेन सबसे पहले पेज पर दिखे, बस इसी आगे और ऊपर आने की जरूरत ने जन्म दिया है सर्च इंजन मार्केटिंग को अगर आप सर्च इंजन मार्केटिंग (sem) को नही जानते तो हम इस पोस्ट में आपको विस्तार से बताएंगे तो आइए देखते है मेरे पोस्ट को search engines marketing। सर्च इंजन मार्केटिंग। सर्च इंजन मार्केटिंग कैसे करें। सर्च इंजन मार्केटिंग क्या है। Search Engines Marketing। सर्च इंजन मार्केटिंग  हम सब ने अखबारों में टीवी पर ऐड देखा ही है रेडियो पर सुना है,पर अब मार्केटिंग कैंपियन इससे आगे निकल कर इंटरनेट पर आ गए है,और अपने टारगेट ऑडियंस और सर्च क्वेरी में सबसे ऊपर बने रहे के लिए वो सर्च इंजन मार्केटिंग का सहारा लेते है। और यही से सर्च इंजन मार्केटिंग का काम शुरू होता है तो सर्च इंजन मार्केटिंग एक तरीके से पैसे लेकर आपके ब्रांड या सर्विस की visibility को ऑनलाइन बढ़ाने की कोशिश करते है इसे paid marketing भी कहते है। सर्च इंजन मार